कोरबा। नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) का धनरास राखड़ डेम अब स्थानीय ग्रामीणों के लिए जीवन का अभिशाप बन गया है। यह डेम न केवल जहरीली हवा और बर्बाद फसलों का कारण बन रहा है, बल्कि लोगों के घरों और सामाजिक आयोजनों को भी तबाह कर रहा है।
लोतलोता गांव के सूरज कुमार यादव के घर शादी का माहौल उस समय मातम में बदल गया, जब राख के तूफान ने पंडाल को उजाड़ दिया। खाना, मिठाइयाँ और सजावट सब राख से ढक गए। सूरज की बहन संध्या यादव ने बताया, “अचानक ऐसा लगा जैसे आसमान से राख की बारिश हो रही हो। मेहमान भागने लगे, और हमारी शादी एक डरावना सपना बन गई।”
पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारी परमेंद्र पांडे ने स्वीकार किया कि धनरास राखड़ डेम से लोतलोता, धनरास, छुरी खुर्द सहित कम से कम आठ गांव बुरी तरह प्रभावित हैं।
गर्मियों में हल्की हवा भी राख को आसमान में उड़ा देती है, जिससे पूरा इलाका धूल और राख के गुबार में डूब जाता है। फसलों की उत्पादकता घट रही है, पशु बीमार हो रहे हैं, और बच्चों में साँस की बीमारी व त्वचा की एलर्जी की शिकायतें बढ़ रही हैं।
ग्रामीणों का आरोप है कि राखड़ डेम के लिए कड़े पर्यावरणीय दिशा-निर्देशों की खुलेआम अनदेखी हो रही है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल जांच की बात तो कहता है, लेकिन स्थानीय लोगों का भरोसा टूट चुका है। उनका कहना है कि हर बार केवल आश्वासन मिलते हैं, कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती। ग्रामीणों का सवाल है, “क्या हमारी जिंदगी की कोई कीमत नहीं? क्या बिजली उत्पादन के लिए हमें जहर फाँकना पड़ेगा?”
Editor – Niraj Jaiswal
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