सक्ती राजघराने के दत्तक उत्तराधिकारी और जिला पंचायत सदस्य राजा धर्मेंद्र सिंह को विशेष फास्ट ट्रैक कोर्ट, सक्ती ने अप्राकृतिक यौनाचार के मामले में सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश गंगा पटेल ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 और 450 के तहत दोषी पाए जाने पर यह फैसला सुनाया। इसके अतिरिक्त, उन पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जुर्माना न चुकाने पर धारा 376 के तहत छह माह और धारा 450 के तहत तीन माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।
लोक अभियोजक मुन्ना पटेल ने बताया कि 9 जनवरी 2022 को राजपरिवार की एक महिला ने राजा धर्मेंद्र सिंह पर अप्राकृतिक यौनाचार का आरोप लगाते हुए सक्ती थाने में शिकायत दर्ज की थी। पुलिस ने जांच के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया, जिसके आधार पर यह सजा सुनाई गई।
कुंवर धर्मेंद्र सिंह का राज्याभिषेक 19 अक्टूबर 2021 को सक्ती रियासत के पांचवें महाराज के रूप में हुआ था। वे पूर्व राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह के दत्तक पुत्र हैं, जिन्हें राजा ने अपने बावर्ची के पुत्र के रूप में गोद लिया था। हालांकि, राज्याभिषेक के समय राजा सुरेंद्र बहादुर की पत्नी गीता राणा सिंह ने सार्वजनिक रूप से धर्मेंद्र को पुत्र मानने से इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनका नौकर संपत्ति का दुरुपयोग कर रहा है और अखबार में विज्ञापन देकर लोगों से समारोह में शामिल न होने की अपील की थी।
धर्मेंद्र सिंह का जन्म 1 मई 1992 को हुआ था। उन्होंने रायपुर से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की और दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए ऑनर्स और एलएलबी की डिग्री हासिल की। उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत भी की थी। इस फैसले के बाद उनकी राजनीतिक और सामाजिक छवि पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
लोक अभियोजक मुन्ना पटेल ने मामले की पैरवी की। इस सजा के बाद सक्ती राजघराने के दत्तक उत्तराधिकारी की छवि को गहरा धक्का लगा है, और यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।
Editor – Niraj Jaiswal
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