दीपका खदान में सुरक्षा मानकों की अनदेखी, बच्चे-युवा बेरोकटोक खनन क्षेत्र में प्रवेश, हादसे का खतरा


कोरबा। एसईसीएल की दीपिका खदान में सुरक्षा मानकों की गंभीर लापरवाही सामने आई है। खुली खदान के आसपास बसे अमगांव और मलगांव के बच्चे और युवा बेरोकटोक खनन क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं, जिससे गंभीर हादसे का खतरा मंडरा रहा है। एक वायरल वीडियो ने इस चिंता को और बढ़ा दिया, जिसमें बच्चे और युवा खतरनाक खदान क्षेत्र में दौड़ते-भागते दिखाई दे रहे हैं।

स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ग्रामीण ब्लास्टिंग में उपयोग होने वाले तार और दैनिक जरूरत के लिए कोयला इकट्ठा करने खदान में घुस रहे हैं। यह गतिविधियां न केवल खदान संचालन को प्रभावित कर रही हैं, बल्कि ग्रामीणों की जान को भी जोखिम में डाल रही हैं। ब्लास्टिंग के बाद क्षेत्र में अवशिष्ट गैस, अस्थिर चट्टानें, मिट्टी के ढेर और गड्ढे जैसे खतरे मौजूद रहते हैं, जो बिना सुरक्षा उपायों के प्रवेश करने वालों के लिए जानलेवा हो सकते हैं।

औद्योगिक सुरक्षा मानकों के तहत खनन क्षेत्रों में मजबूत फेंसिंग, चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा कर्मियों की गश्त और जागरूकता अभियान अनिवार्य हैं, लेकिन दीपिका खदान में इनका अभाव साफ दिखता है।

स्थानीय निवासियों ने कई बार प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि खदान प्रबंधन को तत्काल चारदीवारी सुदृढ़ करनी चाहिए, प्रशिक्षित सुरक्षा कर्मी तैनात करने चाहिए और जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।

विस्फोटक सामग्री और उपकरणों का सुरक्षित निष्पादन भी सुनिश्चित करना जरूरी है। जानकारों ने चेतावनी दी है कि समय रहते कदम न उठाए गए तो कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जिसकी जिम्मेदारी खदान प्रबंधन पर होगी।

यह लापरवाही न केवल मानवीय जीवन को खतरे में डाल रही है, बल्कि एसईसीएल की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठा रही है। प्रबंधन से तत्काल सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की जा रही है।