8 साल के बच्चे के गले को पकड़कर ले जा रहा था तेंदुआ, बड़े भाई ने लड़कर बचाई जान

कांकेर।  दुधावा क्षेत्र में तेंदुए का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा। दिसंबर 2024 से अब तक तेंदुए ने चार बच्चों को निशाना बनाया, जिसमें एक की मौत हो गई और एक बच्चा विकलांग हो गया। ताजा घटना 26 अप्रैल 2025 की है, जब आछीडोंगरी में एक 8 वर्षीय बच्चे पर तेंदुए ने हमला किया। बच्चा घर के आंगन में खेल रहा था, तभी तेंदुआ उसे गले से पकड़कर खींचने लगा। बच्चे के बड़े भाई ने साहस दिखाते हुए उसे तेंदुए के चंगुल से छुड़ाया। घायल बच्चा अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।

ग्रामीण नंदलाल मंडावी ने बताया कि घटना शाम 7 बजे की है, जब तेंदुआ अचानक आ धमका और बच्चे को ले जाने लगा। बड़े भाई लकेश्वर मरकाम ने जोर-जोर से चिल्लाकर और बच्चे के पैर पकड़कर उसे बचा लिया। ग्रामीणों का कहना है कि भारतमाला सड़क परियोजना के लिए मालगुंडी पहाड़ी में हो रही ब्लास्टिंग के कारण तेंदुए और भालू बस्तियों की ओर आ रहे हैं। पहले वे पालतू जानवरों को शिकार बनाते थे, लेकिन अब इंसानों पर हमले बढ़ गए हैं।

दुधावा में तेंदुए के हमलों का सिलसिला जारी है। 4 अगस्त 2024 को कोड़मुड़ में एक बच्चे को तेंदुआ ले गया, जिसका केवल सिर मिला। 25 सितंबर 2024 को नया पारा में एक बच्ची घायल हुई। 2 अक्टूबर 2024 को एक बच्चा तेंदुए के हमले में विकलांग हो गया। 2022 से 2025 तक तेंदुए और भालू के हमलों में 11 लोगों की जान गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए।

ग्रामीण दहशत में हैं। शाम होते ही लोग घरों में बंद हो जाते हैं, बच्चे बाहर नहीं निकलते, और किसान डरते-डरते खेतों में जा रहे हैं। स्थानीय निवासी दीनू साहू ने बताया कि पहाड़ी कटाई और ब्लास्टिंग ने वन्यजीवों को बस्तियों की ओर धकेल दिया है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल सुरक्षा उपाय और तेंदुए को पकड़ने की मांग की है।