ओवरपास ब्रिज अनुपयोगी, एक बार भी पार नहीं हुए हाथी

कोरबा । हाथियों के कारीडोर वाले कोरबा जिले के कटघोरा वनमंडल में अन्य जीवों के आवागमन के लिए 1.60 करोड़ रूपये की लागत से एतमानगर और केंदई में बनाए गए ओवरपास ब्रिज सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। पांच साल पहले तैयार हुए ओवर पास ब्रिज से एक दिन भी हाथी नहीं गुजरे।


वहीं दूसरी ओर इसी वनमंडल में कटघोरा अंबिकापुर नेशनल हाईवे पर कापानवापारा व परला गांव के पास सड़क पर हाथी आ जाते हैं। यातायात बाधित होता है, दुर्घटनाएं होती हैं। घने वनांचल क्षेत्रों में बने डबललेन और फोरलेन सड़कों वन्य जीवों का आवागमन मार्ग प्रभावित होता है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय की गाइडलाइन पर ऐसे निर्माण क्षेत्रों में ओवरपास ब्रिज बनाना सुनिश्चत कर दिया गया है। वन्य प्राणी हाथी, चीतल या फिर भालू सड़क किनारे या फिर सड़क से गुजरते हैं तो उस कंपार्टमेंट में इसका रिकार्ड रखा जाता है।

रिकार्ड के अनुसार बीते एक साल में हाथियों ने 40 से 50 बार कटघोरा-अंबिकापुर एनएच 130 में पार किया है। कई बार तो ओवर ब्रिज के निकट से होकर भी गुजरे, लेकिन कभी भी ओवरपास से होकर एक छोर से दूसरी छोर में नहीं गए। वन विभाग का कहना है कि जो ओवर ब्रिज बने हैं वे जमीन से करीब 20 फीट ऊंचे हैं। ओवर ब्रिज से जंगल के बीच मिट्टी का एप्रोच भी संकरा हो चुका है। वर्षा में फिसलन भी हो जाती है। वन अधिकारियों का कहना है कि हाथी 15 से 20 के झुंड में होते हैं। झुंड हमेशा एक साथ चलता है, हाथी समतल क्षेत्र से आसानी से गुजर जाते हैं। यही वजह है कि अंडरपास का उपयोग नहीं हो रहा है। वर्तमान में इसी क्षेत्र में तीन अलग-अलग दलों में 52 हाथी विचरण कर रहे हैं। तीन दिन के अंदर हाथियों की वजह से दो दुर्घटनाएं हो चुकी हैंं। एक दंतैल हाथी अचानक सड़क पर आ गया है और बाइक चालक को अपनी सूंड से पकड़ने की कोशिश किया। किसी तरह वह बच गया पर बाइक वहीं छूट गई। हाथी ने अपना गुस्सा बाइक पर उतारते हुए क्षतिग्रस्त कर दिया।

कटघोरा वन मंडलाधिकारी कुमार निशांत ने बताया कि अंडर व ओवर पास ब्रिज बनाए जाने का प्रस्ताव  रायपुर स्थित वन मंत्रालय को भेजा है।


आठ साल में बदल लिया हाथियों ने मार्ग

अनुपयोगी साबित हो रहे ओवरपास ब्रिज के निर्माण के लिए आठ साल पहले सर्वे कराया गया था। उस वक्त वन विभाग ने हाथी समेत अन्य जानवरों के आवागमन का प्रमुख स्थल एतमानगर व केंदई को दर्शाया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि पसान क्षेत्र के जंगल से हाथी का झुंड एतमानगर व केंदई के जंगल की ओर आवागमन करते हैं। इस दृष्टि से एनएच प्रबंधन ने अंबिकापुर मार्ग में इन दो स्थलों पर ओवरपास का निर्माण कराया था। अब हाथियाें का कारीडोर बदल गया है और संख्या भी बढ़ गई है।

मानसून के दस्तक के साथ नए सिरे तैयार होगा चारा
एक स्थान में चारा समाप्त होते ही हाथी दूसरे स्थान कूच कर जाते हैं। गर्मी की वजह से चारा और पानी की कमी जंगल में बनी हुई है। हाथी कटहल, गुंजा, चार के छाल व कटीली बांस के पत्ते को बड़े चाव से खाते हैं। जंगल में इन पेड़ व पौधों की संख्या कम हो रही है, ऐसे में दल का एक से दूसरे स्थान तक जाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस बीच मार्ग में पड़ने वाले मकान, बाड़ी को नुकसान पहुंचा रहे। मानसून दस्तक देने वाली है। जंगल में नए सिरे से चारा तैयार होने में माह भर का समय लगेगा। तब स्थिति सामान्य होने के आसार नजर आ रहे हैं।

रेल कारीडोर के लिए बन रहे पांच आरओबी

कोरबा से धरमजयगढ़ के बीच बन रहे रेलवे कारीडोर के बीच पांच आरओबी का निर्माण किया जा रहा है। इनमें धरमजयगढ़ में तीन, रायगढ़ में दो आरओबी शामिल हैं। माना जा रहा है कि आगामी वर्ष तक काम पूरा हो जाएगा। नेशनल हाइवे ओर रेल विभाग की ओर से हाथियों के रुट को देखते हुए ये निर्माण तो किए जा रहे हैं, लेकिन वन्य जीवों के सहूलियत के अनुसार नहीं बनी तो एतमानगर और केंदई में बने आर ओबी की तरह अनुपयोगी होने की संभावना है।