पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य, फिर भी निगम के पास डेटा नहीं, डॉग बाइट के मामले बढ़े

राजधानी रायपुर में पालतू कुत्तों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होने के बावजूद नगर निगम के पास इसका कोई डेटा उपलब्ध नहीं है। नियमों के तहत कुत्ता पालने की जानकारी निगम को देना जरूरी है, लेकिन न तो पालक इसकी सूचना दे रहे हैं और न ही निगम प्रशासन इस पर सख्ती दिखा रहा है। इस लापरवाही का नतीजा है कि मेकाहारा अस्पताल में प्रतिदिन करीब 20 डॉग बाइट के मरीज पहुंच रहे हैं, जिनमें ज्यादातर पालतू कुत्तों के हमले के शिकार हैं।

तीन साल में 51 हजार से अधिक डॉग बाइट के मामले

पिछले तीन वर्षों में रायपुर में कुत्तों के काटने के 51,730 मामले सामने आए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 2022-23 में 13,042, 2023-24 में 24,928 और 2024-25 (जनवरी तक) में 13,760 मामले दर्ज हुए। इसके अलावा, जानवरों पर कुत्तों के हमले के 2,803 मामले भी सामने आए। पिछले साल अनुपम नगर में दो पालतू पिटबुल कुत्तों ने डिलीवरी ब्वॉय पर हमला किया था, जिसके बाद मालिक अक्षय राव के खिलाफ धारा 291 बीएनएस के तहत FIR दर्ज की गई थी।

लोकप्रिय नस्लें और खतरा

कुत्ता प्रेमी राजेश राठौर के अनुसार, रायपुर में लोग पिटबुल, रॉटवाइलर, जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर रिट्रीवर, डोबरमैन पिंशर, हस्की और गोल्डन रिट्रीवर जैसी नस्लों को पालते हैं। ये नस्लें रिहायशी इलाकों, बाजारों और स्कूल-कॉलेजों के आसपास खतरा पैदा कर रही हैं। बावजूद इसके, डॉग बाइट के मामलों में FIR दर्ज होना दुर्लभ है।

नसबंदी और टीकाकरण अभियान

नगर निगम के मुताबिक, प्रतिदिन 400 से 450 आवारा कुत्तों की नसबंदी और रेबीज रोधी टीकाकरण किया जा रहा है। नसबंदी के बाद कुत्तों को तीन दिन तक डाग शेल्टर में रखकर उसी स्थान पर छोड़ा जाता है। इस अभियान पर निगम हर साल करीब 15 लाख रुपये खर्च करता है। हालांकि, पशुप्रेमियों द्वारा नसबंदी और पकड़ने के अभियान में व्यवधान डालने की शिकायत भी सामने आई है।

डाग शेल्टर की स्थिति

निगम ने सोंनडोंगर में डाग शेल्टर बनवाया है, जहां 168 कुत्तों को एक साथ रखने की क्षमता और दो ऑपरेशन थिएटर हैं। लेकिन मशीनरी कार्य बाकी होने के कारण यह अभी शुरू नहीं हो सका है। निगम की स्वास्थ्य विभाग अध्यक्ष गायत्री चंद्राकर ने बताया कि कुत्तों की नसबंदी और पकड़ने का काम नियमित रूप से चल रहा है।

रजिस्ट्रेशन नियमों की अनदेखी

नगर निगम के नियमों के बावजूद अधिकांश लोग बिना रजिस्ट्रेशन के देशी और विदेशी नस्ल के कुत्ते पाल रहे हैं। इस लापरवाही से न केवल डॉग बाइट के मामले बढ़ रहे हैं, बल्कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। निगम प्रशासन से मांग की जा रही है कि रजिस्ट्रेशन नियमों को सख्ती से लागू किया जाए और कुत्तों के हमलों को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।