नेत्रदान और देहदान महायज्ञ की ऐतिहासिक शुरुआत, पहला कॉर्निया प्रत्यारोपण के लिए सिम्स भेजा

कोरबा जिले में नेत्रदान और देहदान के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। पड़ोसी जिले जांजगीर-चांपा के ग्राम पचौली में एक परिवार ने अपने मुखिया पिला दाऊ सतनामी की अंतिम इच्छा का सम्मान करते हुए उनकी आंखें दान की। मेडिकल कॉलेज कोरबा की टीम ने तत्परता दिखाते हुए मृतक के घर पहुंचकर कॉर्निया निकाला और इसे कोरबा लाकर एमके मीडिया में सुरक्षित रखकर सिम्स, बिलासपुर भेज दिया, जहां इसका प्रत्यारोपण कर किसी नेत्रहीन को दृष्टि प्रदान की जाएगी।

मेडिकल कॉलेज कोरबा के चिकित्सालय में इस सफल शुरुआत से उत्साह का माहौल है। मेडिकल टीम का नेतृत्व करने वाली नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीकिरण कुजूर ने बताया कि रात करीब 1:00 बजे उनकी टीम ने जांजगीर पहुंचकर कॉर्निया रिट्रीवल का कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. केके सहारे ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि कोरबा अब उन शहरों में शामिल हो गया है, जहां नेत्रदान की सुविधा उपलब्ध है। उन्होंने रात में जांजगीर पहुंचकर कर्तव्य निभाने वाली अपनी मेडिकल टीम की सराहना की।

इस पहल में भारत विकास परिषद (बीवीपी) कोरबा की भूमिका अहम रही है। पिछले दो वर्षों से परिषद नेत्रदान और देहदान के लिए जागरूकता फैलाने और वैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करने में जुटी थी। बीवीपी के नेत्रदान-देहदान प्रकल्प प्रभारी महेश गुप्ता ने मेडिकल और परिषद की टीम को बधाई दी। उन्होंने बताया कि बीवीपी सरकार से नेत्रदान और देहदान करने वाले परिवारों को सम्मानित करने की मांग कर रही है, और जल्द ही इस दिशा में सफलता की उम्मीद है। गुप्ता ने लोगों से इस पुण्य कार्य में भागीदारी के लिए संकल्प पत्र भरने और एक-दूसरे को प्रेरित करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर बीवीपी के अध्यक्ष कमलेश यादव, सचिव कन्हैया लाल सोनी, पूर्व अध्यक्ष मोहन लाल अग्रवाल, सक्रिय सदस्य धर्मेंद्र कुमार कुदेशिया, प्रमोद पांडे और डॉ. रवि जाटवर उपस्थित रहे। यह पहल कोरबा में नेत्रदान और देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।