कमला नेहरू महाविद्यालय में गोह रेस्क्यू, सर्प मित्र ने सुरक्षित प्राकृतिक आवास में छोड़ा

कोरबा।कमला नेहरू महाविद्यालय में शनिवार को एक अनोखी घटना सामने आई, जब कक्षा में एक मादा गोह (वेरनेस प्रजाति) घुस आई। इस घटना ने कॉलेज परिसर में हलचल मचा दी, लेकिन प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर की त्वरित पहल और सर्प मित्र उमेश यादव की सक्रियता से इस जीव को सुरक्षित बचाकर उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

रेस्क्यू ऑपरेशन

घटना की सूचना मिलते ही प्राचार्य डॉ. बोपापुरकर ने तुरंत सर्प मित्र एवं आरसीआरएस के सदस्य उमेश यादव को सूचित किया। उमेश यादव और उनकी टीम ने तत्काल कॉलेज पहुंचकर जंतु विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापकों की उपस्थिति में गोह को कुशलतापूर्वक रेस्क्यू किया। इसके बाद, वन विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए गोह को सुरक्षित स्थान पर उसके प्राकृतिक आवास में रिलीज किया गया।

जीव संरक्षण का संदेश

प्राचार्य डॉ. बोपापुरकर ने इस अवसर पर जीव संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “हमें अपने आसपास के जीव-जंतुओं के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। यदि कोई जंगली जीव दिखाई दे, तो उस पर हमला करने के बजाय वन विभाग को सूचित करें।” उन्होंने आमजनों और विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे जीव संरक्षण में सक्रिय भागीदारी निभाएं।

महाविद्यालय की पहल

कमला नेहरू महाविद्यालय पर्यावरण और जीव संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। डॉ. बोपापुरकर ने बताया कि कॉलेज समय-समय पर जीव और पादप संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। इस रेस्क्यू अभियान में जंतु विज्ञान विभाग के प्राध्यापकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और छात्रों को जीवों के प्रति सहानुभूति और सावधानी से व्यवहार करने की शिक्षा दी।

छात्रों में जागरूकता

इस घटना ने छात्रों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। रेस्क्यू प्रक्रिया को देखकर छात्रों ने न केवल जीव संरक्षण की तकनीकों को समझा, बल्कि पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी विकसित की। कॉलेज प्रबंधन का मानना है कि इस तरह के प्रयास छात्रों को जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रेरित करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

यह सरीसृप रेस्क्यू अभियान न केवल एक जीव की रक्षा तक सीमित रहा, बल्कि इसने पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जागरूकता को बढ़ावा देने में भी योगदान दिया। कमला नेहरू महाविद्यालय का यह प्रयास अन्य शिक्षण संस्थानों और समुदायों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकता है।