कोरबा। कोयला मंत्रालय ने कमर्शियल माइनिंग के तहत 12वें दौर की कोल ब्लॉक नीलामी में छत्तीसगढ़ के तीन और झारखंड के चार कोल ब्लॉकों को सफलतापूर्वक नीलाम किया। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के दो और रायगढ़ जिले के एक कोल ब्लॉक इस नीलामी में शामिल थे। कोरबा के दोनों ब्लॉकों में कुल 1401.61 लाख टन कोयले का भंडार है, और इनसे शीघ्र ही कोयला उत्खनन शुरू होने की उम्मीद है।
नीलामी का विवरण
कोयला मंत्रालय द्वारा 12वें दौर की नीलामी 27 मार्च 2025 को शुरू की गई थी, जिसमें सात कोल ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया 28 जुलाई से शुरू हुई। इन सात ब्लॉकों में कुल 1761.49 लाख टन कोयले का भंडार है, जिनकी अधिकतम निर्धारित क्षमता 52.5 लाख टन प्रतिवर्ष है। इन ब्लॉकों से लगभग 719.90 करोड़ रुपये का वार्षिक राजस्व (आंशिक रूप से खोजे गए ब्लॉकों को छोड़कर) उत्पन्न होने की संभावना है।
छत्तीसगढ़ के कोल ब्लॉक
छत्तीसगढ़ के तीन कोल ब्लॉकों में कोरबा जिले के रजगामार डिपसाइड देवनारा और रजगामार डिपसाइड साउथ ऑफ फुलकडीह शामिल हैं, जबकि तीसरा ब्लॉक रायगढ़ जिले में स्थित है। कोरबा के दोनों ब्लॉकों के लिए आठ कंपनियों से 14 बोलियां प्राप्त हुई थीं। नीलामी में रजगामार डिपसाइड देवनारा खदान टीएमसी मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड को और रजगामार डिपसाइड साउथ ऑफ फुलकडीह खदान मिवान स्टील्स लिमिटेड को आवंटित की गई है।
रजगामार डिपसाइड देवनारा: इस भूमिगत खदान में 784.64 लाख टन कोयले का भंडार है।
रजगामार डिपसाइड साउथ ऑफ फुलकडीह: इस खदान में 616.97 लाख टन कोयले का भंडार है।
आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
इन कोल ब्लॉकों के उत्खनन से न केवल कोरबा और रायगढ़ जिलों में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राज्य और केंद्र सरकार को भी महत्वपूर्ण राजस्व प्राप्त होगा। कोयला मंत्रालय का अनुमान है कि ये ब्लॉक क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। हालांकि, स्थानीय स्तर पर पर्यावरण और आदिवासी समुदायों पर खनन के प्रभाव को लेकर चिंताएं भी व्यक्त की जा रही हैं।
पर्यावरण और सामुदायिक चिंताएं
पिछले कुछ वर्षों में कोरबा और रायगढ़ जैसे कोयला समृद्ध क्षेत्रों में खनन गतिविधियों के कारण जंगलों की कटाई और आदिवासी समुदायों के विस्थापन की शिकायतें सामने आई हैं। सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट्स में हसदेव जंगल जैसे क्षेत्रों में खनन के पर्यावरणीय और सांस्कृतिक प्रभावों पर सवाल उठाए गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि खनन गतिविधियों को पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों के कल्याण के साथ संतुलित करने की आवश्यकता है।
12वें दौर की कोल ब्लॉक नीलामी छत्तीसगढ़ के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कोयला उत्पादन और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा। कोरबा के रजगामार डिपसाइड देवनारा और साउथ ऑफ फुलकडीह ब्लॉकों में कोयला उत्खनन जल्द शुरू होने की उम्मीद है, लेकिन इसके साथ ही पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय समुदायों के हितों को सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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