कोरबा। जिले में मानसून के मौसम में जंगली पुटू (मशरूम) बाजारों, चौक-चौराहों और सड़क किनारे फुटपाथों पर बिकता नजर आ रहा है। डायबिटीज मरीजों और सेहत के प्रति जागरूक लोगों के लिए यह पौष्टिक आहार माना जाता है, बशर्ते यह सुरक्षित हो। लेकिन, कोरबा में बिक रहे पुटू की गुणवत्ता और सुरक्षा की जांच के लिए कोई स्थानीय प्रयोगशाला उपलब्ध नहीं है, जिससे जहरीले मशरूम खाने से बीमार होने का खतरा बना हुआ है।
खाद्य सुरक्षा विभाग पर पुटू सहित अन्य खाद्य पदार्थों, जैसे दाल, चावल, शक्कर, और तेल में मिलावट की निगरानी की जिम्मेदारी है। हालांकि, जिले में प्रयोगशाला की कमी के कारण यह जिम्मेदारी महज औपचारिकता तक सीमित रह जाती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दुकानों, होटलों, ठेलों और अनाज गोदामों से सैंपल एकत्र किए जाते हैं, जिन्हें जांच के लिए रायपुर स्थित राज्यस्तरीय प्रयोगशाला भेजा जाता है। जांच रिपोर्ट आने में एक से दो सप्ताह या उससे अधिक समय लग जाता है, क्योंकि रायपुर प्रयोगशाला पूरे छत्तीसगढ़ से एकत्र सैंपलों की जांच करती है। इस देरी के कारण, जब तक रिपोर्ट आती है, संदिग्ध खाद्य पदार्थ उपभोक्ताओं तक पहुंच चुके होते हैं।
पिछले कुछ समय में जहरीले पुटू खाने से बीमार होने की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन बिना त्वरित जांच के यह साबित करना मुश्किल है कि बिक रहा मशरूम खाने योग्य है या नहीं।
स्थानीय लोगों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने जिले में खाद्य जांच के लिए स्थानीय प्रयोगशाला स्थापित करने की मांग की है, ताकि त्वरित कार्रवाई संभव हो और उपभोक्ताओं को सुरक्षित खाद्य पदार्थ उपलब्ध हो सकें।
खाद्य सुरक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस समस्या को उच्च अधिकारियों तक पहुंचाने की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
Editor – Niraj Jaiswal
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