कोरबा मेडिकल कॉलेज में सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन की कमी, मरीज परेशान

कोरबा। कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन की अनुपलब्धता के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। अस्पताल में रोजाना 800 से अधिक मरीज ओपीडी में और 70-80 मरीज भर्ती होकर इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।

गंभीर बीमारियों से ग्रसित मरीजों को सटीक निदान के लिए डॉक्टर सिटी स्कैन और एमआरआई जांच की सलाह दे रहे हैं, लेकिन इन सुविधाओं के अभाव में मरीजों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों का सहारा लेना पड़ रहा है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।

सिटी स्कैन मशीन के लिए फंड, फिर भी देरी

अप्रैल 2022 में एनटीपीसी ने सीएसआर मद से सिटी स्कैन मशीन के लिए 2 करोड़ रुपये दिए थे, और मार्च 2025 में जिला खनिज न्यास (डीएमएफ) से 11 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिली। कुल 13 करोड़ रुपये उपलब्ध होने के बावजूद, तीन साल बाद भी सिटी स्कैन मशीन की खरीदारी नहीं हो सकी। प्रबंधन निविदा प्रक्रिया तक सीमित है, और मशीन खरीदने में देरी मरीजों के लिए परेशानी का कारण बन रही है।

एमआरआई मशीन: केवल कागजी चर्चा

एमआरआई मशीन की सुविधा शुरू करने के लिए भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है। हर बैठक में इसकी चर्चा होती है, और स्वास्थ्य मंत्री से लेकर सांसद तक इसकी आवश्यकता पर जोर देते हैं, लेकिन निविदा प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो सकी। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने भी कई बार सिटी स्कैन और एमआरआई मशीन खरीदने के निर्देश दिए हैं, ताकि मापदंड पूरे हो सकें और मरीजों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।

ब्लड कंपोनेंट मशीन भी निष्क्रिय

मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ब्लड कंपोनेंट मशीन प्राप्त हुए साढ़े पांच साल बीत चुके हैं, लेकिन यह अब तक शुरू नहीं हो सकी। हाल ही में ब्लड बैग सेपरेटर की खरीदारी हुई, लेकिन मशीन शुरू करने के लिए दिल्ली से एक विशेषज्ञ टीम की जांच और अनुमति का इंतजार है। इस प्रक्रिया में तीन महीने और लग सकते हैं, जिसके कारण मरीजों को ब्लड कंपोनेंट की सुविधा के लिए अभी और इंतजार करना होगा।

मरीजों की बढ़ती परेशानी

मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सुविधाओं की कमी के कारण मरीजों को निजी केंद्रों पर निर्भर होना पड़ रहा है, जिससे इलाज का खर्च बढ़ रहा है। प्रबंधन के पास फंड होने के बावजूद मशीनों की खरीद में देरी और निष्क्रियता से मरीजों और उनके परिजनों में नाराजगी बढ़ रही है।