कोरबा। कुसमुंडा क्षेत्र में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के खिलाफ भू-विस्थापित महिलाओं ने रोजगार और पुनर्वास की मांग को लेकर 18 जुलाई 2025 को अर्धनग्न प्रदर्शन किया। यह सनसनीखेज घटना कुसमुंडा स्थित एसईसीएल के मुख्य महाप्रबंधक कार्यालय के मुख्य गेट पर हुई, जहां 20-25 महिलाओं ने साड़ी उतारकर धरना दिया। इस प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया और प्रशासन व सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।
महिलाओं की पीड़ा और मांगें
प्रदर्शनकारी महिलाओं ने आरोप लगाया कि एसईसीएल ने उनकी जमीन का अधिग्रहण तो कर लिया, लेकिन वादे के मुताबिक न तो रोजगार दिया गया और न ही पुनर्वास की व्यवस्था की गई। प्रभावित 150 परिवारों की महिलाओं का कहना है कि वे पिछले 42 वर्षों से अपने हक के लिए आवाज उठा रहे हैं, लेकिन प्रबंधन ने उनके साथ वादाखिलाफी की है। कुछ महिलाओं ने बताया कि उनके परिवार में पुरुष सदस्य नहीं हैं, और प्रबंधन बेटियों को नौकरी देने से इनकार कर रहा है। बार-बार आंदोलन और जेल जाने के बाद भी उनकी मांगें अनसुनी रही हैं, जिसके चलते उन्हें अर्धनग्न प्रदर्शन जैसा कठोर कदम उठाना पड़ा।
कांग्रेस विधायक हर्षिता बघेल की तीखी प्रतिक्रिया
इस घटना पर डोंगरगढ़ से कांग्रेस विधायक हर्षिता स्वामी बघेल ने प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “कुसमुंडा का यह वीडियो अत्यंत दुखद और शर्मनाक है। आखिर ऐसी कौन-सी परिस्थितियां पैदा की गईं कि महिलाओं को अपनी मर्यादा ताक पर रखकर अर्धनग्न प्रदर्शन करना पड़ा? यह सरकार की संवेदनहीनता और प्रशासनिक विफलता का जीता-जागता सबूत है।” उन्होंने मांग की कि सरकार तत्काल एसईसीएल और संबंधित विभागों के साथ बैठक कर विस्थापित परिवारों को रोजगार, मुआवजा और सम्मानजनक पुनर्वास प्रदान करे। हर्षिता ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इन मांगों को नजरअंदाज किया, तो ऐसे प्रदर्शन और बढ़ सकते हैं।
एसईसीएल प्रबंधन का जवाब
एसईसीएल के जनसंपर्क अधिकारी सनीश चंद्र ने बयान जारी कर कहा कि कुछ परियोजना प्रभावित लोग निर्धारित नियमों से परे रोजगार और मुआवजे की मांग कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि प्रबंधन बातचीत के लिए हमेशा तैयार है और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है। हालांकि, प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि प्रबंधन बार-बार उनके साथ किए गए वादों से मुकर रहा है।
सामाजिक और राजनीतिक आक्रोश
इस घटना ने कोरबा सहित पूरे छत्तीसगढ़ में सामाजिक और राजनीतिक आक्रोश को जन्म दिया है। सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने इसे सरकार और प्रशासन की विफलता करार दिया। एक यूजर ने लिखा, “महिलाओं को अपने हक के लिए इस तरह सड़कों पर उतरना पड़ रहा है, यह शर्मनाक है।” वहीं, विपक्षी नेताओं ने इसे भाजपा सरकार की “संवेदनहीनता” और “वादाखिलाफी” का प्रतीक बताया। इस घटना ने एक बार फिर कोयला खदानों से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और रोजगार के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है।
सरकार और प्रशासन के लिए चेतावनी
यह प्रदर्शन न केवल विस्थापित परिवारों की पीड़ा को उजागर करता है, बल्कि सरकार और एसईसीएल के लिए एक बड़ी चेतावनी भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोरबा जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में भू-विस्थापन और रोजगार के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया गया, तो सामाजिक अशांति बढ़ सकती है। सरकार को तुरंत कदम उठाकर प्रभावित परिवारों की मांगों का समाधान करना होगा, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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