रावतपुरा मेडिकल कॉलेज की 150 MBBS सीटें रद्द, NMC ने लगाया जीरो ईयर, काउंसलिंग पर असर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है। नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) ने नवा रायपुर स्थित रावतपुरा सरकार निजी मेडिकल कॉलेज को नए सत्र 2025-26 के लिए जीरो ईयर घोषित कर दिया है, जिसके चलते इस कॉलेज की 150 MBBS सीटों की मान्यता रद्द हो गई है। इसके परिणामस्वरूप प्रदेश में MBBS की कुल सीटें 2130 से घटकर 1980 रह गई हैं। इस सत्र में अब केवल इतनी ही सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा।

रिश्वत कांड के बाद सीबीआई की कार्रवाई

रावतपुरा कॉलेज में 30 जून को NMC की टीम 150 सीटों को बढ़ाकर 250 करने के लिए निरीक्षण करने आई थी। इस दौरान कॉलेज प्रबंधन और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों की मिलीभगत से रिश्वत के लेन-देन का मामला सामने आया। सीबीआई ने छापामार कार्रवाई करते हुए तीन NMC असेसर और कॉलेज के डायरेक्टर समेत छह लोगों को गिरफ्तार किया। अगले दिन सीबीआई ने छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और अन्य राज्यों के 35 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की। इस घटना के बाद NMC ने रावतपुरा सहित छह निजी मेडिकल कॉलेजों को जीरो ईयर घोषित किया और चार असेसर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया।

काउंसलिंग और सीटों पर प्रभाव

जीरो ईयर का मतलब है कि इस माह शुरू होने वाली काउंसलिंग में रावतपुरा कॉलेज में किसी भी नए छात्र को प्रवेश नहीं मिलेगा, हालांकि पिछले साल प्रवेश ले चुके छात्रों की पढ़ाई यथावत जारी रहेगी। सीटों की संख्या घटने से NEET UG 2025 की कट-ऑफ बढ़ने की संभावना है, जिससे छात्रों के लिए प्रतिस्पर्धा और कठिन होगी।

सरकारी और निजी कॉलेजों की स्थिति

प्रदेश के सभी 10 सरकारी मेडिकल कॉलेजों को सरकार की अंडरटेकिंग के बाद नए सत्र के लिए मान्यता मिल गई है। इनमें रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर, महासमुंद, कांकेर, राजनांदगांव, दुर्ग और जगदलपुर शामिल हैं। वहीं, चार अन्य निजी कॉलेजों की मान्यता पर NMC का फैसला अभी लंबित है, लेकिन इनके सीट रिनुअल होने की संभावना है। इनमें से तीन कॉलेजों ने 150 से 250 सीटें बढ़ाने के लिए आवेदन किया है, और एक-दो कॉलेजों में सीटें बढ़ने की उम्मीद है।

छात्रों और शिक्षा क्षेत्र पर असर

रावतपुरा कॉलेज के जीरो ईयर होने से छात्रों को सीमित विकल्पों के साथ काउंसलिंग में हिस्सा लेना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि सीटों की कमी से कट-ऑफ में वृद्धि होगी, जिसका असर स्थानीय छात्रों पर पड़ेगा। दूसरी ओर, सरकार और NMC की सख्ती से मेडिकल शिक्षा में पारदर्शिता बढ़ने की उम्मीद है।