कोरबा/कटघोरा। कटघोरा में महिला एवं बाल विकास विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया में अनियमितताओं को उजागर करने की कोशिश एक पत्रकार को भारी पड़ गई। आरटीआई के जरिए जानकारी मांगने पर वार्ड क्रमांक 02 के कांग्रेस पार्षद हरीश यादव ने पत्रकार को फोन पर गाली-गलौज और जान से मारने की धमकी दी। इस गंभीर मामले में कटघोरा थाने में 14 जून 2025 को FIR दर्ज की गई है, और पुलिस ने जांच शुरू कर दी है।
पत्रकार ने बताया कि उन्होंने महिला एवं बाल विकास परियोजना कार्यालय में महिला कार्यकर्ता पद की नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ियों की शिकायत की थी। इसके लिए उन्होंने आरटीआई और आवेदन के माध्यम से आधिकारिक रूप से सवाल उठाए थे। इससे नाराज होकर पार्षद हरीश यादव ने 12 जून 2025 की शाम 4:50 से 5:00 बजे के बीच फोन पर पत्रकार को अपशब्द कहे और धमकी दी कि अगर उन्होंने यह मुद्दा उठाना बंद नहीं किया, तो गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। घटना के समय पत्रकार अपने घर के बाहर थे, और आसपास मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों ने कॉल की पुष्टि की है।
कटघोरा थाने में FIR क्रमांक 0220 दर्ज की गई है, जिसमें भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 296 (धमकी देना) और 351(2) (गाली-गलौज) के तहत मामला पंजीबद्ध किया गया है। पत्रकार का आरोप है कि नियुक्ति प्रक्रिया में वार्ड क्रमांक में हेरफेर कर चयन किया गया। उन्होंने मांग की है कि न केवल धमकी देने वाले पार्षद के खिलाफ, बल्कि नियुक्ति प्रक्रिया में हुई अनियमितताओं की भी निष्पक्ष जांच हो।
कटघोरा थाना प्रभारी धर्म नारायण तिवारी ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा, “पत्रकार या किसी भी नागरिक को सूचना मांगने का पूरा अधिकार है। इस तरह की गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मामले की जांच चल रही है, और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी।”
पत्रकार ने दावा किया कि महिला कार्यकर्ता पद की नियुक्ति में पारदर्शिता का अभाव रहा। वार्ड क्रमांक में हेरफेर कर कुछ लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया। इस मुद्दे को सार्वजनिक करने की कोशिश पर पार्षद प्रतिनिधि द्वारा दबाव बनाया गया। यह मामला अब विभागीय नियुक्तियों की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा कर रहा है।
घटना के बाद स्थानीय सामाजिक संगठनों, पत्रकार संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने एकजुट होकर इसकी कड़ी निंदा की है। उन्होंने पार्षद के खिलाफ कठोर कार्रवाई और नियुक्ति प्रक्रिया की निष्पक्ष जांच की मांग की है। यह मामला न केवल पत्रकार की सुरक्षा, बल्कि सरकारी विभागों में पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दे को भी उजागर करता है।
पुलिस इस मामले में गहन जांच कर रही है, जिसमें कॉल रिकॉर्ड और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान शामिल हैं। साथ ही, महिला एवं बाल विकास विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया की जांच की मांग भी जोर पकड़ रही है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया है, और लोग प्रशासन से त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं।
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