पत्थलगांव।शहर के हृदय स्थल बस स्टैंड पर बुनियादी सुविधाओं की कमी एक बार फिर चर्चा में है। वर्षों से स्थानीय नागरिक और मीडिया सार्वजनिक पेशाबघर (ओपन यूरिनल) की मांग उठाते रहे हैं, लेकिन प्रशासन इसे सुलभ शौचालय की उपलब्धता का हवाला देकर नजरअंदाज कर रहा है। नतीजतन, यात्रियों, खासकर महिलाओं को भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड पर असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
ज़मीनी हकीकत: सुलभ शौचालय पर्याप्त नहीं
प्रशासन का दावा है कि बस स्टैंड परिसर में पुरुषों और महिलाओं के लिए सुलभ शौचालय मौजूद हैं, जहां महिलाओं से कोई शुल्क नहीं लिया जाता। हालांकि, स्थानीय यात्रियों और महिला राहगीरों का कहना है कि भीड़भाड़ वाले बस स्टैंड पर तुरंत उपयोग के लिए ओपन यूरिनल की जरूरत है। दस साल पहले तोड़ा गया सार्वजनिक पेशाबघर अब तक पुनर्स्थापित नहीं हो सका, क्योंकि बस स्टैंड की शासकीय जमीन अतिक्रमण की चपेट में है।
अतिक्रमण ने छीनी बस स्टैंड की जमीन
बस स्टैंड की कई एकड़ शासकीय जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। कुछ हिस्सा व्यवसायियों के नाम रजिस्ट्री हो गया, जबकि शेष पर पक्के निर्माण खड़े कर दिए गए हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि सवारी बसों के खड़े होने के लिए भी पर्याप्त जगह नहीं बची है। प्रशासन का कहना है कि ओपन यूरिनल बनाने के लिए खाली स्थान उपलब्ध नहीं है, लेकिन अपनी ही जमीन को कब्जामुक्त करने में उदासीनता साफ झलकती है।
फंड स्वीकृत, फिर भी रुका काम
विशेष रूप से, स्थानीय विधायक श्रीमती गोमती साय और नगर पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और ओपन यूरिनल निर्माण के लिए फंड भी स्वीकृत कराया। इसके बावजूद, नगर प्रशासन अतिक्रमण हटाने में नाकाम रहा है। परिणामस्वरूप, न तो पेशाबघर बन पा रहा है और न ही बस स्टैंड की अन्य समस्याओं का समाधान हो रहा है।
नागरिकों में आक्रोश, प्रशासन पर सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि फंड, जनप्रतिनिधियों का समर्थन और जरूरत होने के बावजूद “जगह की कमी” का बहाना बनाकर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पत्थलगांव के नागरिक और महिलाएं बुनियादी सुविधा से सिर्फ इसलिए वंचित रहेंगे क्योंकि प्रशासन अतिक्रमण हटाने में गंभीर नहीं है?
प्रशासन से मांग
नागरिकों और यात्रियों ने प्रशासन से मांग की है कि बस स्टैंड की शासकीय जमीन को अतिक्रमणमुक्त कराया जाए और ओपन यूरिनल सहित अन्य सुविधाओं का निर्माण जल्द शुरू किया जाए। यह समस्या न केवल यात्रियों की असुविधा का कारण है, बल्कि शहर की छवि को भी प्रभावित कर रही है। प्रशासन की ओर से अब ठोस कदम उठाने की जरूरत है ताकि पत्थलगांव बस स्टैंड फिर से सुविधाजनक और व्यवस्थित बन सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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