कोरबा।: जिले में अवैध कब्जों की समस्या इस कदर बढ़ गई है कि लोग अपनी और परिवार की जान जोखिम में डालकर हाईटेंशन टॉवरों के नीचे और हसदेव नदी तट पर मकान बना रहे हैं। सर्वमंगला रोड के फोकटपारा, ढोढ़ीपारा, दर्री और अन्य क्षेत्रों में हाईटेंशन टॉवरों के ठीक नीचे न केवल एक-दो मकान, बल्कि पूरी बस्तियां बस चुकी हैं। इन इलाकों में बच्चे खेलते-कूदते दिखते हैं, जिससे किसी बड़े हादसे का खतरा बना रहता है।
हाईटेंशन टॉवर के नीचे बस्तियां, सुरक्षा नियमों की अनदेखी
नियमों के अनुसार, हाईटेंशन टॉवर से 10 मीटर की दूरी तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद, कोरबा के कई क्षेत्रों में टॉवरों के ठीक नीचे आधा दर्जन से अधिक मकान बन चुके हैं। विद्युत कंपनी के ट्रांसमिशन विभाग की ओर से इन मकानों में रहने वालों को नोटिस तो जारी किया जाता है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल खानापूर्ति होती है। नतीजतन, ऐसी बस्तियां लगातार बढ़ रही हैं। 33/11 केवी खंभों के समीप भी मकान बनाना प्रतिबंधित है, लेकिन इस नियम की भी अनदेखी हो रही है।
हसदेव नदी तट पर अवैध निर्माण, बाढ़ का खतरा
हसदेव नदी तट के किनारे भी अवैध कब्जों का सिलसिला थम नहीं रहा है। लोग पहले रस्सी और फीता बांधकर जमीन पर कब्जा करते हैं, फिर वहां मकान बना लेते हैं। कई मकान किराए पर दिए जा रहे हैं, जो कुछ लोगों के लिए आय का स्रोत बन गए हैं। पिछले साल बारिश के मौसम में हसदेव नदी का जलस्तर अचानक बढ़ने से सीतामणी क्षेत्र में प्राथमिक शाला के पीछे बने एक दर्जन से अधिक मकानों में पानी घुस गया था। लोगों को रात में घर छोड़कर भागना पड़ा और हजारों रुपये का नुकसान हुआ। बालकोनगर क्षेत्र में भी नदी किनारे अवैध कब्जों के कारण बाढ़ की स्थिति बनी थी।
विभाग की लापरवाही, केवल नोटिस तक सीमित कार्रवाई
जल संसाधन और विद्युत विभाग की ओर से हर साल नोटिस जारी कर खानापूर्ति की जाती है, लेकिन ठोस कार्रवाई का अभाव है। कुछ स्थानों पर अवैध मकानों के साथ-साथ सीसी रोड तक बन चुके हैं। कई लोग अवैध कब्जा कर मकान बनाते हैं और फिर इन्हें लाखों रुपये में बेच देते हैं। यह सिलसिला वर्षों से चल रहा है, और विभाग इसकी अनदेखी कर रहा है।
खतरे को न्योता दे रही लापरवाही
हाईटेंशन टॉवरों और नदी तट पर बने अवैध मकान न केवल रहवासियों की जान को खतरे में डाल रहे हैं, बल्कि भविष्य में बड़े हादसों का कारण बन सकते हैं। स्थानीय लोगों ने मांग की है कि विद्युत और जल संसाधन विभाग अवैध कब्जों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे। साथ ही, प्रशासन को चाहिए कि ऐसी बस्तियों को हटाने और नियमों का कड़ाई से पालन कराने के लिए ठोस कदम उठाए।
जब विद्युत कंपनी के ट्रांसमिशन विभाग से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो कोई जवाब नहीं मिल सका। इस स्थिति ने प्रशासन की गंभीरता पर सवाल खड़े किए हैं, और लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।
Editor – Niraj Jaiswal
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