कोरबा।: नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत 16 जून 2025 से होने वाली है, लेकिन कोरबा जिले में स्कूल बसों की फिटनेस जांच को लेकर जिला परिवहन विभाग की ओर से कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। जिले में लगभग 300 निजी स्कूल संचालित हैं, जो बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए अपनी और अनुबंधित बसों का उपयोग करते हैं। हालांकि, कई स्कूल और कंपनियां बच्चों की सुरक्षा के प्रति लापरवाही बरत रही हैं, जिससे स्कूली बच्चों की जान जोखिम में है।
सुरक्षा मानकों की अनदेखी
सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार, स्कूल बसों में सीसीटीवी कैमरा, जीपीएस ट्रैकर, अग्निशमन यंत्र, मेडिकल किट, फिटनेस सर्टिफिकेट, प्रदूषण प्रमाणपत्र, ड्राइवर का पुलिस सत्यापन, स्पीड गवर्नर, और खिड़कियों पर सुरक्षा ग्रिल जैसे मानकों का पालन अनिवार्य है। इसके अलावा, बस का रंग पीला होना चाहिए और उस पर स्कूल का नाम व संपर्क नंबर अंकित होना चाहिए। लेकिन कई स्कूल इन मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। जिले में कई बसें कंडम हालत में हैं और बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के सड़कों पर दौड़ रही हैं, जिससे बच्चों को असुविधा के साथ-साथ खतरा भी बना रहता है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
पिछले वर्षों में मापदंडों के विपरीत चल रही स्कूल बसें कई बार दुर्घटनाओं का शिकार हो चुकी हैं। इसके बावजूद न तो स्कूल प्रबंधन और न ही परिवहन विभाग ने इस दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। इस बार शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले अभी तक बसों की जांच के लिए कोई अभियान शुरू नहीं किया गया है, जबकि स्कूल खुलने में अब मात्र दो-तीन दिन शेष हैं।
अभिभावकों पर आर्थिक बोझ
शासन द्वारा स्कूल बसों के संचालन के लिए कर में छूट दी जाती है ताकि अभिभावकों पर आर्थिक बोझ न पड़े। बावजूद इसके, कई स्कूल संचालक कम दूरी के लिए भी अधिक किराया वसूल रहे हैं। यह लापरवाही और शोषण न केवल बच्चों की सुरक्षा को खतरे में डाल रहा है, बल्कि अभिभावकों की जेब पर भी भारी पड़ रहा है।
परिवहन विभाग की चुप्पी
जिला परिवहन विभाग हर साल शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले स्कूल बसों की फिटनेस जांच करता है, लेकिन इस बार अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। अभिभावकों और स्थानीय लोगों ने मांग की है कि विभाग तत्काल जांच अभियान शुरू करे और अनफिट बसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि
जिला परिवहन विभाग को चाहिए कि वह सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाए और स्कूल बसों की नियमित जांच सुनिश्चित करे। अभिभावकों ने भी प्रशासन से मांग की है कि बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए अनफिट बसों को सड़क से हटाया जाए और दोषी स्कूल संचालकों पर कार्रवाई की जाए।
Editor – Niraj Jaiswal
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