रेत माफियाओं की गुंडागर्दी पर हाईकोर्ट सख्त, मुख्य सचिव-खनिज सचिव से जवाब तलब

छत्तीसगढ़ में अवैध रेत खनन और माफियाओं की बेलगाम गुंडागर्दी को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था पर तीखे सवाल उठाते हुए मुख्य सचिव और खनिज सचिव से जवाब मांगा है कि पहले से जारी निर्देशों के बावजूद रेत माफिया इतने बेखौफ क्यों हैं? बलरामपुर में एक आरक्षक की हत्या और गरियाबंद में फायरिंग की घटनाओं को कोर्ट ने “कानून-व्यवस्था पर कलंक” करार देते हुए सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।

बलरामपुर में आरक्षक की दर्दनाक मौत

11 मई 2025 की रात बलरामपुर जिले के लिबरा गांव में सनावल पुलिस टीम अवैध रेत खनन रोकने पहुंची थी। इस दौरान आरक्षक शिव बचन सिंह (43) ने एक ट्रैक्टर को रोकने की कोशिश की, लेकिन चालक ने उन्हें कुचल दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। आरोपी मौके से फरार हो गया। इस घटना पर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताते हुए इसे “कानून-व्यवस्था की विफलता” बताया।

डीजीपी ने कोर्ट को सूचित किया कि मामले में 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है और उनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), वन अधिनियम, और खान एवं खनिज अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई है। लापरवाही के चलते सनावल थाना प्रभारी को भी निलंबित किया गया है।

गरियाबंद में माफियाओं की फायरिंग

बलरामपुर की घटना के बाद गरियाबंद जिले में रेत माफियाओं ने पुलिस पर फायरिंग की, जिसे हाईकोर्ट ने “माफिया राज” की संज्ञा दी। कोर्ट ने सवाल किया कि ऐसी घटनाएं बार-बार क्यों हो रही हैं और सरकार इसे रोकने में क्यों नाकाम है? अदालत ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि अवैध खनन और ऐसी वारदातें नहीं रुकीं, तो सख्त न्यायिक हस्तक्षेप होगा।

हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने तल्ख लहजे में कहा, “सिर्फ सस्पेंशन से माफिया नहीं रुकेंगे। आखिर किसके संरक्षण में ये माफिया फल-फूल रहे हैं?” कोर्ट ने डीजीपी, खनिज सचिव, और वन विभाग को नोटिस जारी कर तत्काल जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी पूछा कि अवैध खनन पर रोक के लिए पहले दिए गए निर्देशों का पालन क्यों नहीं हो रहा?

प्रशासन और माफियाओं की मिलीभगत पर सवाल

हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है। कोर्ट ने कहा कि बलरामपुर और गरियाबंद की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि पुलिस और प्रशासन पूरी तरह लाचार है। सोशल मीडिया पर भी माफियाओं को प्रशासनिक संरक्षण के आरोप लग रहे हैं, जिसे कांग्रेस नेताओं ने भी उठाया है।

सरकार पर बढ़ा दबाव

हाईकोर्ट की सख्ती के बाद सरकार पर अवैध रेत खनन को रोकने और माफियाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई करने का दबाव बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला छत्तीसगढ़ में कानून-व्यवस्था और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।