कोरबा। जंगल बचाने और सरकारी जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त कराने की प्रशासनिक कोशिशों के दावों के बीच साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) कोरबा के हेलीपैड (मुड़ापार) स्थित ग्रीन जोन नर्सरी में हरे-भरे विशाल पेड़ों की कटाई और अवैध कब्जे का खेल बेरोकटोक जारी है। न तो एसईसीएल को इसकी चिंता है, न वन विभाग को कोई सरोकार। स्थानीय जनप्रतिनिधि और पार्षद भी इस मामले में अनजान बने हुए हैं, जबकि रातों-रात नर्सरी की जमीन पर बीम खड़े किए जा रहे हैं।
नर्सरी में अवैध कब्जे की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। बड़ी मात्रा में रेत और गिट्टी डालकर मिक्सर मशीनें लगाई गई हैं। सुशासन तिहार और सरकारी जमीनों पर अतिक्रमण रोकने के सख्त निर्देशों के बावजूद नगर पालिक निगम क्षेत्र में यह गैरकानूनी गतिविधियां बेधड़क हो रही हैं।
स्थानीय लोगों में सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह कब्जा साजिश के तहत सबकी जानकारी में हो रहा है या कोई सरकारी निर्माण है? यदि सरकारी निर्माण है, तो स्थानीय पार्षद को इसकी जानकारी क्यों नहीं है और काम रात के अंधेरे में क्यों हो रहा है?
स्थानीय जनप्रतिनिधियों का रवैया भी संदेह पैदा कर रहा है। पूर्व वार्ड पार्षद और वर्तमान पार्षद पति शैलेंद्र सिंह पप्पी ने पहले अवैध कब्जे का विरोध किया था। तब नगर निगम की टीम ने संजय नगर के कब्जाधारियों को समझाकर वापस भेजा था, लेकिन अब फिर से रातों-रात कब्जे का खेल शुरू हो गया है। यह समझ से परे है कि जमीन पर कब्जा कौन और किसके संरक्षण में कर रहा है।
जंगल संरक्षण और सरकारी जमीन की देखरेख की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? एसईसीएल, वन विभाग और नगर निगम की चुप्पी से लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है। जनता मांग कर रही है कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए।
Editor – Niraj Jaiswal
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