कोरबा नगर पालिक निगम के दर्री जोन में सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी को व्यक्तिगत बताकर देने से इनकार करने का मामला चर्चा का विषय बन गया है। अधिवक्ता आशीष सिंह बनाफर द्वारा श्रद्धांजलि योजना के तहत दिसंबर 2013, जनवरी और फरवरी 2014 में हितग्राहियों को किए गए भुगतान से संबंधित दस्तावेजों की मांग की गई थी, लेकिन राजस्व अधिकारी ने इसे व्यक्तिगत जानकारी करार देते हुए सूचना देने से मना कर दिया। इस कार्रवाई ने योजना में अनियमितता छिपाने की आशंका को जन्म दिया है।
आरटीआई के तहत मांगी गई थी जानकारी
आशीष सिंह बनाफर ने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नगर पालिक निगम कोरबा के दर्री जोन से श्रद्धांजलि योजना के तहत भुगतान रजिस्टर, भुगतान राशि और भुगतान वाउचर से संबंधित संपूर्ण दस्तावेजों की प्रमाणित प्रति मांगी थी। यह जानकारी दिसंबर 2013, जनवरी 2014 और फरवरी 2014 की अवधि के लिए थी। हालांकि, राजस्व अधिकारी ने जन सूचना अधिकारी को जवाब देते हुए दावा किया कि मांगी गई जानकारी व्यक्तिगत है और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 8(1)(j) के तहत इसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता।
अनियमितता छिपाने की आशंका
राजस्व अधिकारी के इस रुख ने स्थानीय स्तर पर चर्चा को जन्म दिया है। लोगों का मानना है कि शासकीय योजना से जुड़ी जानकारी को व्यक्तिगत बताकर देने से इनकार करना पारदर्शिता पर सवाल उठाता है। जनचर्चा में यह सवाल उठ रहा है कि कहीं श्रद्धांजलि योजना में हुई अनियमितताओं को छिपाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा? सूचना के अधिकार के तहत शासकीय योजनाओं की जानकारी आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में राजस्व अधिकारी का जवाब संदेह पैदा कर रहा है।
पारदर्शिता पर उठे सवाल
नगर निगम के इस रवैये से सूचना के अधिकार अधिनियम की भावना पर सवाल उठ रहे हैं। अधिवक्ता आशीष सिंह बनाफर के आवेदन और राजस्व अधिकारी के जवाब ने न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता पर चर्चा को तेज किया है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शासकीय योजनाओं के दस्तावेजों को जनता से छिपाने की कोशिश की जा रही है। इस मामले में नगर निगम की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन यह विवाद स्थानीय स्तर पर गर्माता जा रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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