बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह छठवें वेतन आयोग के तहत 1 जनवरी 2006 से पहले सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को पेंशन लाभ का भुगतान सुनिश्चित करें।
यह फैसला न्यायमूर्ति राकेश मोहन पांडे की एकलपीठ ने छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ बनाम छत्तीसगढ़ राज्य के मामले में सुनाया। याचिकाकर्ता छत्तीसगढ़ शासकीय महाविद्यालयीन पेंशनर्स संघ सरकारी महाविद्यालयों के पेंशनभोगियों का प्रतिनिधित्व करने वाली पंजीकृत संस्था है।
संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सरकार की नीति को चुनौती दी थी। याचिका में तर्क दिया गया कि 2006 के बाद सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को छठवें वेतन आयोग का लाभ दिया गया, जबकि 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को इससे वंचित रखा गया, जो संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन है।
सरकार का तर्क किया खारिज
राज्य सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि 2006 से पहले रिटायर हुए कर्मचारियों को लाभ देने से सरकारी खजाने पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा। हालांकि, न्यायालय ने सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया और सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले का हवाला देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 की धारा 49 के तहत मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को संयुक्त रूप से पेंशन भुगतान की जिम्मेदारी निभानी होगी।
MP-CG के हजारों पेंशनर्स को मिलेगी राहत
हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि 120 दिनों के भीतर सभी पात्र पेंशनर्स को संशोधित पेंशन का भुगतान किया जाए। इस फैसले से छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के हजारों पेंशनभोगी कर्मचारियों को राहत मिलेगी।
Editor – Niraj Jaiswal
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