कल्चुरी राजवंश में कला और ज्ञान का प्रचुर भंडार था

भारत में जमाबंदी प्रणाली का प्रथम प्रमाण कल्चुरी राजवंश में

कोरबा। कल्चुरि कालीन इतिहास एवं पुरात्व शोध पर संगोष्ठी और बौद्धिक परिचर्चा का आयोजन 22 व 23 मार्च को गोकुलधाम कटघोरा में आयोजित हुआ।

कल्चुरि कालीन इतिहास एवं पुरात्व शोध समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम का उद्धघाटन स्वास्थ्य मंत्री छ.ग. शासन श्याम बिहारी जायसवाल के मुख्य अतिथ्य तथा अशोक जायसवाल उद्योगपति की अध्यक्षता में हुआ।

डॉ. आशीष जायसवाल मैनेजिंग डायरेक्टर चौकसे ग्रुप ऑफ कालेज, राज जायसवाल अध्यक्ष नगर पालिका कटघोरा, डॉ. घनश्याम जायसवाल उद्योगपति रायपुर, अजय जायसवाल अध्यक्ष नगर पंचायत पाली एवं युवराज सिन्हा अध्यक्ष कलार महासभा का विशिष्ट आतिथ्य रहा।

संगोष्ठी के प्रथम सत्र में बौद्धिक परिचर्चा के लिए मनोज रॉय की अध्यक्षता में डॉ. विनोद जायसवाल बी.एच.यू. प्रो. कल्चुरी राजवंश का उदय और उत्कर्ष पर, डॉ. के.पी. वर्मा उप संचालक संस्कृति एवं पुरातत्व द्वारा कल्चुरि समकालिन कला एवं स्थापत्य, डॉ. राधेश्याम जायसवाल वाराणसी प्रो. चान्सलर डी.एस.यूनिवर्सिटी झारखण्ड ने कल्चुरी कालीन धार्मिक परिदृश्य पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये।

द्वितीय सत्र में एच.एस. जायसवाल की अध्यक्षता में प्रो. ब्रिजेश कुमार जायसवाल काशी विद्यापीठ वाराणसी द्वारा कल्चुरी कालीन सामाजिक जीवन, डॉ. रामविजय शर्मा इतिहासकार एवं पुरातत्वविद रायपुर द्वारा कल्चुरी नरेश पृथ्वीदेव प्रथम एवं द्वित्तीय के शासन काल का ऐतिहासिक विवेचन, डॉ. संगम लाल जायसवाल द्वारा कल्चुरी के इतिहास, डॉ. शकुतला जायसवाल प्रो. द्वारा कल्चुरीकाल में तुमान एवं रतनपुर का विकास एवं पुरुषोत्तम प्रसाद डडसेना में तुमान का परिचय विषय पर शोध पत्र प्रस्तुत किये। इसके पश्चात स्वाध्य मंत्री द्वारा परिचर्चा का आयोजन किया गया तथा सभी से परिचय प्राप्त किया गया।