कोरबा। खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान का दौर शुरू क्या हुआ, खेती-किसानी से संबंधित विवाद अचानक से बढ़ गए। जिले के लगभग सभी क्षेत्रों में इस प्रकार के मामले उभर रहे हैं। थाना और चौकियों में इस तरह की शिकायतें आ रही हैं। जिले भर में अब तक सैकड़ों प्रकरण जमीन को लेकर आ चुके हैं। पुलिस संबंधितों को सही रास्ता दिखाने में लगी है, कि उन्हें करना क्या होगा।
किसानों को आगे बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ-साथ बीज और उपकरणों पर अनुदान देने के अलावा ऋण मुक्त ब्याज देने की सुविधा सरकार ने उपलब्ध करा रखी है। इसके अंतर्गत अनाज उत्पादन से जुड़े वर्ग को काफी राहत मिल रही है। जुलाई का दूसरा पखवाड़ा शुरू होने से पहले ही खरीफ की मुख्य फसल धान लेने के लिए जिले के उत्पादकों ने अपने खेतों में प्राथमिक तैयारी शुरू कर दी। मौसम का रूख देखने के साथ वे आगे बढ़ रहे हैं।
इसी के साथ अब इस तरह की चीजें सामने आ रहीं हैं कि किसान अपनी जमीन पर दूसरे की दखल और मेड़ में तोडफ़ोड़ करने सहित पानी निकासी की समस्या जैसे मसले को लेकर विवाद हो रहे हैं। कृषि क्षेत्र से जुड़े ये मामले कोई नए नहीं हैं लेकिन पुलिस का अनुभव है कि यह सब केवल इसी सीजन में ज्यादा होता है। देखने को मिलता रहा है कि सामान्य अपराधों में इस वर्ग की भागीदारी नगण्य रही है।
विशेष परिस्थितियों को छोड़ दिया जाएग तो अनाज उत्पादक वर्ग ऐसी घटनाओं से दूरी बनाने को लेकर गंभीर रहता है। एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता को भारतीय न्याय संहिता में परिवर्तित करने के बाद जहां इस पर अध्ययन से लेकर अन्य चीजें हो रही है वहीं कई कारणों से आपराधिक मामलों में गिरावट दर्ज होने के तथ्य भी सामने आए हैं।
एफआईआर के आंकड़े इसे साबित करते हैं। दूसरी ओर पुलिस ने बताया कि कृषि सीजन में कृषि कार्य और जमीन से संबंधित मामलों में अचानक बढ़ोत्तरी हुई है। रजगामार, बालकोनगर, पाली, चैतमा, कुसमुंडा, लेमरू, पसान, कटघोरा और बांगो थाना क्षेत्र में ही कुल मिलाकर अब तक ऐसे मामले आए हैं जिनकी संख्या कुल मिलाकर एक सैकडा के आसपास हो गई है।
पुलिस अधिकारी बताते हैं कि हैरानी की बात यह है कि दूसरे और कालखंड में खेती-किसानी करने वाला वर्ग ऐसे प्रकरण को लेकर न तो कभी मिलने आता है और न ही कभी शिकायत करता है कि इस तरह की स्थितियां उनके सामने हैं। ये चीजें हैरान करती हैं कि आखिर अगर यही सब परेशानी है तो ये पहले क्यों नहीं होती। ऐसे मामलों में कारण किसी में एक पक्ष तो किसी में दोनों पक्ष परेशान होते हैं। मामले उलझने पर उन्हें पुलिस के अलावा दंडाधिकारी के कोर्ट के चक्कर भी लगाने पड़ते हैं।
कई प्रकार के हैं प्रावधान
खेती-किसानी से जुड़े हुए विवादों का समाधान सीधे तौर पर पुलिस नहीं करती। मामले की प्रकृति देखने के साथ ही वह सुनिश्चित करती है कि किस तरीके सेअपना हस्तक्षेप किया जा सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि जमीन संबंधित विवाद की स्थिति में अनेक मामलों में धारा 145 के अंतर्गत एसडीएम कोर्ट को कार्रवाई का अधिकार है और वह ऐसे प्रकरण में अपनी टीम को सीमांकन के निर्देश दिया करते हैं। जबकि आधारहीन शिकायत को पुलिस परीक्षण के साथ खारिज कर देती है। पुलिस को ऐसा लगता है कि जो शिकायत उसके कार्यक्षेत्र का हिस्सा है ही नहीं, उसे धारा 155 के तहत अमान्य करते हुए उचित परामर्श दिया जाता है।
Editor – Niraj Jaiswal
Mobile – 9754876042
Email – urjadhaninewskorba@gmail.com
Address – Press Complex, T.P. Nagar, Korba C.G. 495677