कोरबा: नौतपा शुरू होने के बाद लगातार पड़ रही भीषण गर्मी से मौसमी बीमारी का असर तेज हो गया है। उल्टी-दस्त, पेट दर्द, सिर दर्द, बुखार जैसी समस्या लेकर प्रतिदिन दो सेे ढाई सौ मरीज मेडिकल अस्पताल इलाज के पहुंचने लगे हैं। अब तक लू के सात मरीज मिल चुके हैं। सामान्य दिनों की तुलना में मरीजों की संख्या बढ़ने से अस्पताल में मरीजों की भर्ती के लिए जगह कम पड़ने लगी है। अतिरिक्त बेड लगाकर बरामदे में इलाज किया जा रहा है।
नौतपा के साथ हलकी बूंदा-बांदी शुरू होने अब गर्मी के साथ उमस का असर हावी होने लगा है। शरीर में पानी की कमी और चिपचिपा पसीना के कारण लोगों के स्वास्थ्य में भी असर दिख रहा है, अस्पतालों में डिहाईड्रेशन व लू लगने के मामले बढ़ने लगे हैं, जो कि घातक या जानलेवा हो सकती है।
जिला मेडिकल कालेज के अधीक्षक डा. गोपाल सिंह कंवर ने बताया कि जिले में लगातार मौसम परिवर्तन के बाद अब धूप गर्मी व नौतपा प्रारंभ हो गई है, जिसके कारण मौसमी बीमारी की आशंका बढ़ गई है। सूर्य की तेजगर्मी के दुष्प्रभाव से शरीर के तापमान में विपरीत प्रभाव पड़ता है। जिससे शरीर में पानी, खनिज लवण और नमक की कमी हो जाती है। शरीर की प्रतिरक्षी क्षमता कम होेने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। बिना कुछ खाए खाली पेट बाहर धूप में निकलना डिहाड्रेशन को बुलावा देना है।
अधिकारी ने बताया बीपी, शुगर के अलावा डायलिसिस पर चल रहे मरीजों पर भी भीषण गमी का असर हो रहा है। लोगो को अनावश्यक घर से बाहन न निकलने की सलाह दी जा रही है। लोागों को लू से सतर्क रहने के साथ घर से बाहर जाते समय सफेद सूती या हल्के कपड़े पहनने, भोजन कर तथा पानी पीकर ही बाहर निकलने, गर्दन के पिछले भाग कान एवं सिर गमछे से ढककर ही निकलने की सलाह दी जा रही है।
बच्चों बुजुर्गाे व गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखने के लिए कहा जा रहा है। उन्हें समय-समय पर पानी पीने के लिए प्रेरित करने के साथ सुपाच्य भोजन एवं तरल पदार्थों का सेवन कराने की बात कही जा रही है। जिला मेडिकल कालेज अधीक्षक कंवर ने यह भी बताया कि मेडिकल कालेज अस्पताल में गर्मी या लू से पीड़ित गंभीर मरीज नहीं है। उन्होने बताया कि व्यक्ति को लगातार सिरदर्द, बुखार, उल्टी एवं अत्यधिक पसीना आए तो समझना चाहिए कि ये सभी लू के लक्षण हैं। लू लगने से चक्कर आना, सांस फूलना, दिल की धड़कन तेज होना, कमजोरी महसूस होना, शरीर में ऐंठन तथा त्वचा लाल एवं सूखी होना जैसे लक्षण महसूस होने लगता है।
सामान्य पानी के साथ जीवन रक्षक घोल जरूरी
जिला मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. एसएन केसरी ने बताया कि लू होने पर रोगी को छायादार स्थान पर लिटायें एवं गीले कपड़े से हवा करें। रोगी के बेहोश होने की स्थिति में उसे कोई भी भोज्य पेय पदार्थ न दें एवं तत्काल चिकित्सा सेवायें उपलब्ध कराएं। रोगी केे होश में आने की स्थिति में उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का पना आदि का सेवन कराएं। रोगी के शरीर के तापमान को कम करने के लिए उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखें। लू से प्रभावित व्यक्ति को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। अधिकारी ने बताया जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्र में मौसमी बीमारियों से लड़ने के दवाओं का व्यापक भंडारण किया जा रहा है। मितानिन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व मलेरिया वर्करों के माध्यम से बीमार पड़ने पर निकट के अस्पताल जाकर इलाज के लिए कहा जा रहा है।
मानसून दस्तक के साथ जल प्रदूषण से होगी बीमारी
मौसम के जानकारों की माने तो इस बार 15 जून से पहले ही जिले भर मे मानसून के सक्रिय होने की संभावना है। मानसून के दस्तक के अनुमान के साथ मौसम में तेजी से परिवर्तन देखा जा रहा है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि खुले जल स्त्रोतों से पानी न पीने की सलाह लोगो काे अभी से दी जा रही है। जल जनित रोगाें से सुरक्षित रहने के जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। पानी टंकी की सफाई के लिए पंचायत व नगरीय निकाय के प्रबंधनों काे सलाह दी जा रही है। जल स्त्रोतों का क्लोरोनीकरण अभी से शुरू कर दी गई है।
Editor – Niraj Jaiswal
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