एसईसीएल खान सुरक्षा बैठक में श्रमिक संगठनों ने उठाए आंकड़ों की सत्यता पर सवाल, ठेका मजदूरों की सुरक्षा पर जताई चिंता

कोरबा।साउथ ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) बिलासपुर में त्रिपक्षीय खान सुरक्षा समिति की बैठक संपन्न हुई, जिसमें कोयला खदानों में होने वाली दुर्घटनाओं की रोकथाम पर चर्चा हुई। बैठक में एसईसीएल प्रबंधन ने खदानों में हुई दुर्घटनाओं और उनके कारणों के आंकड़े प्रस्तुत किए, लेकिन श्रमिक संगठन बीएमएस ने इन आंकड़ों की सत्यता पर सवाल उठाते हुए इन्हें अधूरा बताया। साथ ही, मशीनों को हुए नुकसान की जानकारी नहीं देने पर मजदूर संघों ने प्रबंधन के प्रति नाराजगी जताई।

एसईसीएल प्रबंधन ने कहा कि खान सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है। इसके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट और वैज्ञानिक अध्ययनों की सिफारिशों के आधार पर कार्य प्रणाली लागू करने, सेटी मैनेजमेंट प्लान और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) का प्रभावी क्रियान्वयन करने, और प्रशिक्षण व्यवस्था को मजबूत करने के लिए विस्तृत एक्शन प्लान तैयार किए गए हैं। हालांकि, श्रमिक संगठनों ने प्रबंधन से पुरानी प्रथाओं को बंद करने और घातक व गंभीर दुर्घटनाओं की पूरी जानकारी साझा करने की मांग की।

बीएमएस ने हाल की घातक और गंभीर दुर्घटनाओं का आंकड़ों में उल्लेख न होने और उनके सही कारणों को छिपाने का आरोप लगाया। यूनियन ने बिना प्रशिक्षण और मेडिकल जांच के ठेका मजदूरों को काम पर लगाने पर भी चिंता जताई। प्रबंधन ने बताया कि खदानों में 22 हजार ठेका मजदूर कार्यरत हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि कितने मजदूरों की मेडिकल जांच या प्रशिक्षण हुआ है।

बैठक में खान सुरक्षा महानिदेशालय, पश्चिमी अंचल नागपुर, रायगढ़, बिलासपुर क्षेत्र-1 और क्षेत्र-2, उत्तरी अंचल गाजियाबाद, और जबलपुर क्षेत्र के पदाधिकारी शामिल हुए। करीब छह घंटे तक चली इस बैठक में प्रबंधन ने पावर प्वाइंट के जरिए दुर्घटना रोकथाम के उपायों को प्रस्तुत किया। पहली बार ठेका मजदूरों के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया, ताकि उन्हें सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूक किया जा सके।

बैठक में श्रमिक संगठनों का प्रतिनिधित्व आनंद मिश्रा (एचएमएस), संजय सिंह (बीएमएस), बी धर्मा राव (एटक), कमलेश शर्मा (एसईकेएमसी), इंद्रदेव चौहान (सीटू), और जीएस प्रसाद (सीएमओएआई) ने किया। श्रमिक संगठनों ने प्रबंधन से ठोस कदम उठाने और पारदर्शिता बरतने की मांग की ताकि खदानों में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।