कुसमुण्डा एसईसीएल परियोजना में भू-विस्थापितों का तालाबंदी आंदोलन, फर्जी नौकरियों का आरोप, कोयला उत्पादन ठप

कोरबा। कोरबा जिले में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की कुसमुण्डा विस्तार परियोजना से प्रभावित भू-विस्थापित परिवारों ने अपनी जमीन के बदले रोजगार न मिलने और फर्जी लोगों को नौकरी देने के आरोप में अनिश्चितकालीन तालाबंदी आंदोलन शुरू कर दिया है।

मंगलवार को भू-विस्थापितों ने कुसमुण्डा खदान के मुख्य द्वार पर ताला लगाकर धरना शुरू किया, जिसके चलते कोयला उत्पादन पूरी तरह ठप हो गया है।

प्रदर्शनकारी परिवारों ने मेन गेट के पास भोजन बनाकर खाया और यहीं आराम किया, जिससे उनका आंदोलन लंबा चलने का संकेत मिल रहा है। भू-विस्थापितों का आरोप है कि पिछले 22 वर्षों से वे अपनी जमीन के बदले वादा किए गए रोजगार के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन एसईसीएल प्रबंधन बार-बार झूठे आश्वासन देकर उन्हें गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी जमीन पर बाहरी और फर्जी लोगों को नौकरी दी गई है, जबकि प्रभावित परिवारों के आश्रितों को रोजगार से वंचित रखा गया है।

आंदोलनकारियों ने प्रबंधन पर सूचना के अधिकार के तहत जवाब न देने और अधिकारियों द्वारा गुंडागर्दी व अफसरशाही का रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया।

उन्होंने बताया कि जब वे जानकारी मांगने एसईसीएल कार्यालय जाते हैं, तो उन्हें कोई जवाब नहीं मिलता। इसके अलावा, शांतिपूर्ण हड़ताल करने पर उन्हें जबरदस्ती जेल भेजा गया, जिसे वे अपने अधिकारों का हनन मानते हैं।

एसईसीएल अधिकारियों ने भू-विस्थापित नेताओं से उन लोगों के नाम मांगे, जिन्हें कथित तौर पर फर्जी नौकरी दी गई है। प्रबंधन का कहना है कि नौकरियों का मामला न्यायालय में लंबित है और इसका समाधान कुसमुण्डा के साथ-साथ अन्य कोयला परियोजनाओं के लिए भी लागू होगा।

हालांकि, भू-विस्थापितों ने चेतावनी दी है कि यदि उनके परिवारों को जल्द रोजगार नहीं दिया गया, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

यह आंदोलन कुसमुण्डा खदान के अलावा गेवरा और दीपका खदानों में भी भू-विस्थापितों की लंबे समय से चली आ रही शिकायतों को उजागर करता है।

प्रभावित परिवारों ने मांग की है कि उनकी जमीन के बदले उनके आश्रितों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार दिया जाए। कोयला उत्पादन पर इस हड़ताल का असर पड़ सकता है, जो देश की कोयला आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर सकता है।