9 साल से बिना दाखिल-खारिज रजिस्टर के चल रहा शासकीय स्कूल, शिक्षा विभाग की लापरवाही उजागर

कोरबा जिले का शिक्षा विभाग एक बार फिर सुर्खियों में है, इस बार मामला हैरान करने वाला है। जिले के करतला विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला पटेलपारा तरदा पिछले 9 वर्षों से बिना दाखिल-खारिज रजिस्टर के संचालित हो रहा है। यह खुलासा शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाता है।

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2016 से इस स्कूल में दाखिल-खारिज रजिस्टर का कोई अस्तित्व ही नहीं है। यह रजिस्टर किसी भी स्कूल के लिए अनिवार्य होता है, क्योंकि इसके बिना न तो किसी बच्चे का प्रवेश दर्ज हो सकता है और न ही स्थानांतरण प्रमाण पत्र (टीसी) जारी किया जा सकता है।

स्थानांतरण प्रमाण पत्र में दाखिल और खारिज नंबर का उल्लेख जरूरी होता है। ऐसे में सवाल उठता है कि पिछले 9 साल में इस स्कूल से पढ़कर निकले बच्चों को बिना रजिस्टर के टीसी कैसे दी गई?

निरीक्षण में क्या कर रहे थे अधिकारी?

हर साल स्कूलों का कई बार निरीक्षण होता है, जिसमें संकुल प्रभारी, समन्वयक, बीईओ और डीईओ शामिल होते हैं। निरीक्षण के दौरान स्कूल के सभी दस्तावेजों की जांच की जाती है और निरीक्षण पंजी में टिप्पणी दर्ज की जाती है।

फिर भी, इस स्कूल की इतनी बड़ी खामी कैसे किसी के ध्यान में नहीं आई? क्या निरीक्षण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई, या अधिकारियों ने जानबूझकर इस मामले को नजरअंदाज किया?

निजी स्कूल होता तो रद्द हो जाती मान्यता

स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर यही लापरवाही किसी निजी स्कूल में हुई होती, तो शिक्षा विभाग तुरंत उसकी मान्यता रद्द कर देता। लेकिन चूंकि यह स्कूल शासकीय है, इसलिए विभाग ने इस मामले को दबाने की कोशिश की है। अभी तक न तो इस मामले की जांच शुरू हुई है और न ही किसी जिम्मेदार के खिलाफ कार्रवाई की गई है।

शिक्षा विभाग पर उठ रहे सवाल

यह घटना न केवल स्कूल प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की जवाबदेही पर भी सवाल खड़े करती है। क्या विभाग को इतने वर्षों तक इस अनियमितता की जानकारी नहीं थी, या इसे जानबूझकर अनदेखा किया गया?

स्थानीय अभिभावकों और नागरिकों ने इस मामले में तत्काल जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। यह मामला कोरबा जिले में शिक्षा व्यवस्था की बदहाली और प्रशासनिक उदासीनता का एक और उदाहरण बन गया है।