तहसीलदारों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से राजस्व कार्य ठप, रायपुर में 10 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग

रायपुर। छत्तीसगढ़ में तहसीलदार और नायब तहसीलदारों की 17 सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू हुई हड़ताल ने आम जनता को भारी परेशानी में डाल दिया है। 28 जुलाई से शुरू हुई तीन दिवसीय हड़ताल के बाद आज से तहसीलदारों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसके चलते रायपुर समेत प्रदेशभर के तहसील कार्यालयों में कामकाज पूरी तरह ठप है, और कार्यालयों में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग नकल निकालने, त्रुटि सुधार, आय, मूल निवास, और जाति प्रमाण पत्र जैसे राजस्व संबंधी कार्यों के लिए तहसील कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण निराश होकर लौट रहे हैं।

रायपुर तहसील कार्यालय में 10,000 से ज्यादा मामले लंबित

रायपुर तहसील कार्यालय में 10,000 से अधिक मामले पेंडिंग हैं, लेकिन हड़ताल के कारण इनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। आवेदन जमा करने और पेशी की तारीख जानने के लिए कुछ पक्षकार और वकील कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन उन्हें भी खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पिछले तीन दिनों से तहसील कार्यालय के चक्कर काटने के बावजूद कोई काम नहीं हो पा रहा।

वकीलों को भी परेशानी, पेशी की तारीख जानने के लिए भटकना पड़ रहा

हड़ताल का असर वकीलों पर भी पड़ रहा है। कई वकील पेशी की तारीख जानने के लिए तहसील कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन तहसीलदारों की अनुपस्थिति के कारण उन्हें निराशा हाथ लग रही है। वकीलों का कहना है कि कोर्ट में पहले से ही काम का बोझ है, और अब तहसीलदारों की हड़ताल ने उनकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।

खाली पड़े हैं तहसीलदारों के केबिन

रायपुर में तहसीलदार राममूर्ति दिवान, राकेश देवांगन, और अतिरिक्त तहसीलदार प्रकाश सोनी के कार्यालय पूरी तरह खाली पड़े हैं। लोग अपने काम के लिए तहसील कार्यालय पहुंच रहे हैं, लेकिन तहसीलदारों के केबिन खाली देखकर उन्हें उल्टे पांव लौटना पड़ रहा है। प्रदेश के अन्य तहसील कार्यालयों में भी यही स्थिति है।

तहसीलदारों की प्रमुख मांगें

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले चल रहे इस आंदोलन में तहसीलदारों की 17 सूत्रीय मांगें शामिल हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

सभी तहसीलों में पर्याप्त स्टाफ की नियुक्ति, जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, चपरासी, और पटवारी।

तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर 50:50 अनुपात में पदोन्नति।

नायब तहसीलदार को राजपत्रित पद घोषित करना।

लंबित ग्रेड-पे सुधार।

प्रोटोकॉल और फील्ड ड्यूटी के लिए सरकारी वाहन या भत्ता।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण कुमार लहरे ने कहा कि उनकी मांगों को बार-बार शासन के सामने रखा गया, लेकिन कोई सकारात्मक कार्रवाई नहीं हुई। इसके चलते संघ ने “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के सिद्धांत पर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू की है।

सरकार का रुख

राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के उप सचिव अरविंद एक्का ने सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर हड़ताल में शामिल अधिकारियों को अवकाश न देने और अनुपस्थिति पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, तहसीलदार संघ का कहना है कि उनकी मांगें पूरी नहीं होने तक आंदोलन जारी रहेगा।

हड़ताल के कारण राजस्व कार्यों पर व्यापक असर पड़ रहा है, जिससे आम लोगों, विशेषकर किसानों को भारी असुविधा हो रही है। सरकार और तहसीलदार संघ के बीच जल्द बातचीत की उम्मीद की जा रही है ताकि यह गतिरोध समाप्त हो सके।