कोरबा के स्कूलों में जर्जर भवनों का संकट, बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा पर खतरा

कोरबा, 28 जुलाई 2025: कोरबा जिले के सरकारी स्कूलों में जर्जर भवनों की समस्या गंभीर होती जा रही है, जिसका असर न केवल ग्रामीण क्षेत्रों बल्कि शहरी स्कूलों पर भी पड़ रहा है। गोकुल नगर के प्राथमिक स्कूल का मूल भवन पिछले पांच वर्षों से जर्जर हालत में है, जिसके कारण 84 बच्चों को एकमात्र अतिरिक्त कक्ष में पढ़ाई करनी पड़ रही है। बारिश के दौरान छत से रिसाव और फर्श पर पानी भरने की समस्या के चलते बच्चों को असुरक्षित भवन में बैठाना संभव नहीं है।

प्रधान अध्यापिका रंजी पाटिल ने बताया कि सुरक्षा कारणों से बच्चों को जर्जर भवन में नहीं बिठाया जाता। उन्होंने कहा, “हमने पुराने भवन के जीर्णोद्धार के लिए उच्च अधिकारियों को कई बार अवगत कराया है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।” तंग कमरे में पढ़ाई के दौरान बच्चों को उमस और गर्मी का सामना करना पड़ता है, जिससे अध्यापन कार्य प्रभावित हो रहा है।

संसाधनों की कमी, खेल मैदान का अभाव

गोकुल नगर स्कूल में बढ़ती छात्र संख्या को देखते हुए कुछ वर्ष पहले अतिरिक्त कक्ष बनाया गया था, लेकिन इससे खेल मैदान सिमट गया है। सरकार द्वारा प्रदान की गई खेल सामग्री का उपयोग भी मैदान के अभाव में नहीं हो पा रहा है। शहर के अन्य स्कूल जैसे अंधरीकछार, पीडब्ल्यूडी रामपुर, और पुरानी बस्ती में भी यही स्थिति है। पुराने भवनों को ध्वस्त करने की जटिल प्रक्रिया के कारण ये समस्याएं लंबित हैं।

फर्नीचर उपलब्ध, फिर भी फर्श पर बैठने की मजबूरी

स्कूल में पुस्तकें, गणवेश, और फर्नीचर जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं, लेकिन तंग जगह के कारण फर्नीचर का उपयोग नहीं हो पा रहा है। जर्जर भवन में रखा फर्नीचर जंग खा रहा है, और बच्चे फर्श पर बैठकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

रसोई घर की जर्जर स्थिति

स्कूल परिसर में रसोई घर भी जर्जर हो चुका है, जहां 84 बच्चों के लिए भोजन तैयार किया जाता है। बारिश के दौरान तंग कमरे में ही भोजन करना पड़ता है, जिससे बच्चों को काफी असुविधा होती है। शाला प्रबंधन समिति ने रसोई घर के जीर्णोद्धार की मांग की है, लेकिन यह मांग भी अन्य स्कूलों की तरह अनसुनी रह गई है।

प्रशासन की उदासीनता

शाला प्रबंधन समिति हर साल प्रशासन को इन समस्याओं से अवगत कराती है, लेकिन समाधान के अभाव में शिक्षकों और बच्चों की परेशानियां बढ़ती जा रही हैं। जिले के कई स्कूलों में जर्जर भवनों का मुद्दा गंभीर बना हुआ है, जिससे बच्चों की पढ़ाई और सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।