कोरबा के कोयला खदान क्षेत्रों में बढ़ते अपराध और फ्लाई ऐश व कोल डस्ट से आम लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रवैया अपनाया है। कोरबा जिले की साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) खदान में एक ट्रांसपोर्टर की हत्या के मामले में कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए SECL, NTPC और राज्य शासन से जवाब मांगा है।
हिंसक झड़प और पर्यावरणीय चिंताएं
चार महीने पहले कोरबा की खदान में कोयले के परिवहन को लेकर दो पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, जिसमें एक ट्रांसपोर्टर की जान चली गई थी। इस घटना के साथ-साथ फ्लाई ऐश और कोल डस्ट से उत्पन्न होने वाले पर्यावरणीय संकट पर हाईकोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस ने कहा, “उद्योग विकास के लिए जरूरी हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आम नागरिकों की सुरक्षा और जीवन को खतरे में डाला जाए।”
बिना कवर कोयला ढोने पर रोक
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं और उड़ती राख से जनता की जान को हो रहे जोखिम पर चिंता जताई। फ्लाई ऐश और कोल डस्ट के कारण होने वाले गंभीर स्वास्थ्य प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए कि बिना ढंके कोयला परिवहन करने वाली गाड़ियों को परमिट जारी न किया जाए। साथ ही, हाईवे पेट्रोलिंग स्टाफ को नियमित जांच करने और गाड़ियों की फोटो सहित रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया।
SECL की कार्यप्रणाली पर नाराजगी
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने SECL की कार्यप्रणाली पर कड़ा ऐतराज जताया। उन्होंने टिप्पणी की, “SECL का रवैया ऐसा है कि हम तो कोयला बेचते हैं, बाकी ट्रांसपोर्टर जाने। यह वैसा ही है जैसे शराब बेचने वाला कहे कि हम तो शराब बेचते हैं, बाकी पीने वाला जाने।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
शपथपत्र दोबारा पेश करने का आदेश
हाईकोर्ट ने SECL और NTPC को पर्यावरणीय सुधार कार्यों का विस्तृत विवरण शपथपत्र के साथ दोबारा पेश करने का निर्देश दिया। इससे पहले कोर्ट ने एक कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया था, जिसने क्षेत्र का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सभी पक्षों को जवाबदेही सुनिश्चित करने की चेतावनी दी है।
Editor – Niraj Jaiswal
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