1200 साल पुराना पाली शिव मंदिर: सावन में भक्तों की आस्था का केंद्र

कोरबा।छत्तीसगढ़ में पवित्र सावन मास के दौरान सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। कावड़ियों की लंबी कतारें और शिव भक्ति का उत्साह हर ओर देखने को मिल रहा है। इस बीच, कोरबा जिले के पाली में स्थित प्राचीन शिव मंदिर अपनी अनूठी स्थापत्य कला, ऐतिहासिक महत्व और आध्यात्मिक आस्था के कारण विशेष चर्चा में है। यह मंदिर न केवल छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है, बल्कि इसके गर्भगृह में स्थापित तीन शिवलिंग इसे और भी खास बनाते हैं।

तीन शिवलिंगों का रहस्यमयी गर्भगृह

पाली शिव मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता इसका गर्भगृह है, जहां तीन शिवलिंग स्थापित हैं, जिन्हें ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) का स्वरूप माना जाता है। पारंपरिक मंदिर वास्तुशास्त्र के अनुसार, गर्भगृह में केवल एक शिवलिंग होना चाहिए, लेकिन यहां तीन शिवलिंगों की मौजूदगी पुरातत्व विशेषज्ञों के लिए एक ऐतिहासिक रहस्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि प्राचीन काल में युद्ध के दौरान दो अन्य मंदिरों के नष्ट होने के कारण इन शिवलिंगों को एक ही गर्भगृह में स्थापित किया गया होगा। यह मंदिर भक्तों के लिए आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ पुरातात्विक अध्ययन का भी विषय है।

1200 साल पुराना गौरवशाली इतिहास

कोरबा से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर 9वीं शताब्दी में, लगभग 1200 साल पहले निर्मित हुआ था। इसका निर्माण बाणवंशीय राजा विक्रमादित्य, जिन्हें महामंडलेश्वर मालदेव के पुत्र जयमेयू के नाम से भी जाना जाता है, ने करवाया था। 870 ईस्वी में शुरू हुआ निर्माण कार्य 900 ईस्वी तक पूरा हुआ। बाद में 11वीं शताब्दी में कलचुरी वंश के शासक जाज्वल्य देव प्रथम ने इसका जीर्णोद्धार कराया। माना जाता है कि दोनों राजाओं ने युद्ध में विजय के बाद इस मंदिर का निर्माण और जीर्णोद्धार कराया, जिसके कारण इसे विजय के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण

पाली शिव मंदिर अपनी प्राचीन स्थापत्य कला और भारतीय संस्कृति की समृद्ध विरासत का जीवंत प्रमाण है। मंदिर की बनावट और नक्काशी प्राचीन भारतीय कला के उत्कृष्ट नमूने को दर्शाती है। सावन के महीने में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो तीनों शिवलिंगों के दर्शन और पूजन के लिए दूर-दूर से आते हैं।

सावन में बढ़ी भक्तों की भीड़

सावन मास में पाली शिव मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है। कावड़िए और श्रद्धालु लंबी कतारों में भगवान शिव की आराधना के लिए पहुंच रहे हैं। मंदिर का ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व इसे सावन के दौरान और भी विशेष बनाता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और भक्तों की आस्था अटूट रहती है।

पाली का यह प्राचीन शिव मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का भी गौरवशाली हिस्सा है।