कोरबा।एसईसीएल की दीपका विस्तार परियोजना से प्रभावित कोरबा जिले के ग्राम मलगांव के भू-विस्थापितों के मुआवजा प्रकरण में कथित घोटाला एक बार फिर चर्चा में है। जिला प्रशासन की जांच में 152 मकान काल्पनिक पाए गए हैं, जिसके बाद इनके मुआवजे को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस मामले ने प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, और आम आदमी पार्टी ने सख्त कार्रवाई की मांग की है।
जिला प्रशासन की जांच में सामने आया है कि मलगांव में 1638 मकानों का मुआवजा प्रकरण तैयार किया गया था, जिसमें से 152 मकान भौतिक रूप से अस्तित्व में नहीं हैं। इन काल्पनिक मकानों के मुआवजे को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन सवाल यह है कि ये 152 लोग कौन हैं? क्या ये वास्तविक भू-विस्थापित हैं या फर्जी नाम? इनके नाम सार्वजनिक न होने से प्रशासन और एसईसीएल की भूमिका संदेह के दायरे में है। ग्रामीणों का आरोप है कि वास्तविक भू-विस्थापितों को निशाना बनाया जा रहा है, जबकि घोटाले में शामिल लोगों को बचाने की कोशिश हो रही है।
एसईसीएल और प्रशासन की संयुक्त टीम ने ढाई साल की मेहनत के बाद मुआवजा पत्रक तैयार किया था, लेकिन इसमें गड़बड़ी के आरोप लगातार सामने आए। जांच में गड़बड़ी उजागर होने के बाद शामिल अधिकारियों की ईमानदारी पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि करोड़ों रुपये के इस घोटाले के पीछे की साजिश को उजागर करना जरूरी है, वरना यह मामला कागजों में दबकर रह जाएगा। निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की मांग जोर पकड़ रही है।
मलगांव और सुआभोडी के मुआवजा प्रकरण सीबीआई जांच के दायरे में हैं, लेकिन जांच की धीमी गति पर सवाल उठ रहे हैं। ग्रामीणों के बीच चर्चा है कि गांव खाली कराने के लिए 2 करोड़ रुपये का ठेका दिया गया था, जिसमें से 50 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है। शेष राशि के भुगतान में देरी के कारण विवाद गहरा रहा है। इसके अलावा, एक दलाल की भूमिका भी चर्चा में है, जो कथित तौर पर अधिकारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दे रहा है।
आम आदमी पार्टी ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। जिला कलेक्टर को संबोधित एक पत्र में पार्टी ने कहा कि 152 काल्पनिक मकानों का खुलासा गंभीर मामला है। पार्टी ने मांग की है कि सभी लाभार्थियों के नाम सार्वजनिक किए जाएं और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो। प्रशासन की तत्परता की सराहना करते हुए पार्टी ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो कोरबा में आंदोलन किया जाएगा।
मलगांव का मुआवजा घोटाला कोरबा जिले में संचालित एसईसीएल परियोजनाओं के लिए अधिग्रहित गांवों में सबसे विवादित मामला बन चुका है। इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्ष जांच की जरूरत पर जोर दिया जा रहा है।
Editor – Niraj Jaiswal
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