मेगा कोयला परियोजनाएं पहली तिमाही में लक्ष्य से पीछे, बारिश की चुनौतियां बढ़ाएंगी मुश्किलें

कोरबा।वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कोरबा जिले की मेगा कोयला परियोजनाएं—गेवरा, दीपका, और कुसमुंडा—अपने उत्पादन लक्ष्यों को हासिल करने में नाकाम रही हैं। इसके साथ ही कोयला डिस्पैच में भी ये परियोजनाएं लक्ष्य से पीछे हैं, जिससे आने वाले मानसून के महीनों में प्रबंधन के लिए चुनौतियां बढ़ गई हैं।

गेवरा, दीपका, और कुसमुंडा का प्रदर्शन

गेवरा खदान को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 63 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है, जिसमें पहली तिमाही में 15 मिलियन टन उत्पादन अपेक्षित था। हालांकि, इस अवधि में केवल 12.64 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो सका। जून माह में भी गेवरा ने 4.87 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 4.02 मिलियन टन उत्पादन किया।

दीपका खदान को 40 मिलियन टन का वार्षिक लक्ष्य मिला है, जिसमें पहली तिमाही में 9.64 मिलियन टन उत्पादन करना था, लेकिन केवल 7.77 मिलियन टन ही उत्पादित हुआ। जून में 3.07 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 2.79 मिलियन टन उत्पादन दर्ज किया गया।

कुसमुंडा खदान को 50 मिलियन टन का वार्षिक लक्ष्य दिया गया है, जिसमें पहली तिमाही में 12.05 मिलियन टन उत्पादन अपेक्षित था, लेकिन केवल 7.25 मिलियन टन कोयला उत्पादित हुआ। जून में 3.84 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 2.2 मिलियन टन उत्पादन ही हो सका।

कोरबा एरिय का प्रदर्शन

कोरबा एरिया को 8.87 मिलियन टन का वार्षिक लक्ष्य दिया गया है, जिसमें पहली तिमाही में 1.96 मिलियन टन उत्पादन करना था। इस एरिया ने 1.77 मिलियन टन उत्पादन किया, जो लक्ष्य से थोड़ा कम है।

डिस्पैच में भी कमी

उत्पादन के साथ-साथ डिस्पैच में भी ये परियोजनाएं पिछड़ रही हैं। गेवरा एरिया ने पहली तिमाही में 15.08 मिलियन टन डिस्पैच के लक्ष्य के मुकाबले 14.77 मिलियन टन डिस्पैच किया, जो लक्ष्य के करीब है। दीपका एरिया को 10.5 मिलियन टन डिस्पैच करना था, लेकिन केवल 8.71 मिलियन टन ही डिस्पैच हो सका। कुसमुंडा एरिया में 14.1 मिलियन टन के लक्ष्य के मुकाबले 9.75 मिलियन टन डिस्पैच हुआ।

मानसून की चुनौतियां

आगामी तीन महीनों में वर्षा ऋतु के दौरान कोयला उत्पादन और डिस्पैच में और अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। भारी बारिश और मौसमी बाधाएं खनन कार्यों को प्रभावित कर सकती हैं। प्रबंधन को इन चुनौतियों से निपटने के लिए रणनीतिक उपाय करने होंगे ताकि उत्पादन और डिस्पैच को लक्ष्य के करीब लाया जा सके।

भविष्य की रणनीति

कोरबा जिले की गेवरा, दीपका, और कुसमुंडा खदानें देश की सबसे बड़ी कोयला खदानों में शुमार हैं, लेकिन पहली तिमाही के निराशाजनक प्रदर्शन ने प्रबंधन के लिए चेतावनी का काम किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्पादन क्षमता बढ़ाने और डिस्पैच प्रक्रिया को सुचारु करने के लिए तकनीकी और प्रबंधकीय सुधारों की आवश्यकता है।