कोरबा पावर लिमिटेड के सामाजिक सरोकार के तहत अदाणी फाउंडेशन ने करतला और कोरबा ब्लॉक में मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट (एमएचसीयू) का शुभारंभ किया है। सोमवार को आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. एस.एन. केशरी ने एमएचसीयू को हरी झंडी दिखाकर सरगबुंदिया ग्राम पंचायत के लिए रवाना किया। इस अवसर पर मुख्य व्यवसाय अधिकारी समीर मित्रा, परियोजना प्रमुख सीवीके प्रसाद और अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
11 गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी एमएचसीयू
हेल्पेज इंडिया के सहयोग से संचालित यह मोबाइल हेल्थकेयर यूनिट 11 गांवों—पताड़ी, खोड्डल, पहंदा, दर्राभांठा, ढनढ़नी, रिस्दीहापारा, उरगा, देवरमाल, और सरगबुंदिया—में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी। यूनिट प्रतिदिन दो शिफ्टों में संचालित होगी और प्रत्येक दिन दो गांवों का दौरा करेगी। इसमें पांच सदस्यीय टीम शामिल है, जिसमें एक मेडिकल कंसल्टेंट (MBBS), फार्मासिस्ट, सोशल प्रोटेक्शन ऑफिसर, ड्राइवर, और सहायक स्टाफ होंगे। यह टीम चिकित्सा परामर्श, आवश्यक दवाओं का वितरण, और स्वास्थ्य जागरूकता गतिविधियां संचालित करेगी।
स्वास्थ्य जागरूकता और जीवन स्तर में सुधार की पहल
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. केशरी ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “अदाणी फाउंडेशन का यह प्रयास ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता और बीमारियों की रोकथाम को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एमएचसीयू न केवल बीमारियों की शीघ्र पहचान और उपचार को संभव बनाएगी, बल्कि मरीजों को अस्पताल जाने की कठिनाइयों से भी राहत देगी। यह समग्र जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।”
ग्रामीणों और सरपंच ने जताया आभार
सरगबुंदिया ग्राम पंचायत के सरपंच और ग्रामीणों ने अदाणी फाउंडेशन और कोरबा पावर लिमिटेड को इस पहल के लिए धन्यवाद दिया। ग्रामीणों का कहना है कि यह यूनिट दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करेगी, जिससे उनकी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का त्वरित समाधान हो सकेगा।
अदाणी फाउंडेशन की अन्य पहलें
अदाणी फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के छह जिलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, अधोसंरचना विकास, और आजीविका उन्नयन के क्षेत्र में कई कार्यक्रम संचालित कर रहा है। सरगुजा के आदिवासी बाहुल्य उदयपुर ब्लॉक में मुफ्त ऑनलाइन कोचिंग के माध्यम से इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराई जा रही है। इसके अलावा, युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कौशल विकास केंद्रों में जीविकोपार्जन पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के तहत 1200 एकड़ से अधिक भूमि पर 15.68 लाख पेड़ों का एक घना जंगल तैयार किया गया है।
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