सीएसईबी राखड़ बांध टूटने से खेतों और बस्तियों में फैला जहरीला पानी, प्रशासन और प्रबंधन ने शुरू किया सुधार कार्य

कोरबा। कटघोरा के डिंडोलभाठा छिरहुट में स्थित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल (सीएसईबी) की 500 मेगावाट एचटीपीपी विस्तार परियोजना के राखड़ बांध का तटबंध शुक्रवार शाम को तेज बारिश के कारण टूट गया। इससे भारी मात्रा में फ्लाईऐश और जहरीला पानी आसपास के खेतों और रिहायशी इलाकों में फैल गया, जिससे क्षेत्र में तबाही मच गई। आनन-फानन में ग्रामीणों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया गया।

बांध के निर्माण के दौरान एक दशक से अधिक समय पहले डिंडोलभाठा और आसपास के गांवों की सैकड़ों एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। बिजली उत्पादन के लिए प्रतिदिन बड़ी मात्रा में कोयले का उपयोग होता है, जिससे निकलने वाली राख का कुछ हिस्सा सीमेंट प्लांट और कोयला खदानों में भेजा जाता है, जबकि शेष राख बांध में संग्रहित की जाती है।

बारिश के मौसम में राख के उड़ने से रोकने के लिए स्प्रिंकलर लगाए गए हैं और क्षेत्र को नम रखा जाता है। सीएसईबी के सिविल मेंटेनेंस डिवीजन ने बांध की सुरक्षा के लिए कई उपाय करने का दावा किया था, लेकिन सामान्य बारिश में ही तटबंध के टूटने से इन दावों की पोल खुल गई।

जून में हुई 108 एमएम बारिश को सामान्य मानते हुए भी बांध का तटबंध टूट गया, जिससे किसानों के खेतों को भारी नुकसान हुआ और अन्य खतरे सामने आए। रात में ही प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, और सुबह सीएसईबी प्रबंधन के कार्यकारी निदेशक (ईडी) सहित अन्य अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लिया।

उनकी देखरेख में तत्काल सुधार कार्य शुरू किया गया। प्रबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यदि अगले कुछ घंटों में बारिश होती है, तो संभावित नुकसान को कैसे रोका जाए। इसके लिए मजबूत उपाय किए जा रहे हैं।

सीएसईबी प्रबंधन को इस बात का डर है कि रखरखाव में लापरवाही और जन स्वास्थ्य को खतरे के कारण कानूनी कार्रवाई हो सकती है। पहले भी डीएसपीएम परियोजना के गोढ़ी राखड़ बांध में ऐसी समस्याएं सामने आ चुकी हैं, जिनकी शिकायतें अनसुलझी हैं। प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान और लोगों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन और प्रबंधन पर त्वरित कार्रवाई का दबाव है।