बैंक की लापरवाही से सेवानिवृत्त कर्मचारी को 3.53 लाख का नुकसान, उपभोक्ता आयोग ने लगाया जुर्माना

कोरबा। भारतीय स्टेट बैंक की बरपाली शाखा में एक सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी के बचत खाते से बिना उनकी जानकारी और सहमति के 3.53 लाख रुपये किसी अज्ञात व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए। इस मामले में उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, कोरबा ने बैंक की सेवा में कमी पाते हुए जुर्माना लगाया और पीड़ित को ब्याज सहित राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।

मामला 22 जुलाई 2024 का है, जब बैंक ने पीड़ित के खाते से 3,53,000 रुपये बिना अनुमति के ट्रांसफर कर दिए। पीड़ित ने बैंक प्रबंधक से संपर्क किया, लेकिन सही जानकारी देने के बजाय उन्हें टालमटोल कर आश्वासन दिया गया कि राशि जल्द वापस होगी। इसके बावजूद, पीड़ित को महीनों तक बैंक के चक्कर काटने पड़े। 12 सितंबर 2024 को बैंक ने केवल 2,50,000 रुपये वापस जमा किए, लेकिन शेष 1,03,000 रुपये आज तक नहीं लौटाए गए।

पीड़ित ने इस धोखाधड़ी की शिकायत उरगा पुलिस थाने में 25 दिसंबर 2024 को और पुलिस अधीक्षक व कलेक्टर, कोरबा के जनदर्शन में 30 दिसंबर 2024 को की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। शारीरिक रूप से कमजोर और वृद्ध पीड़ित को बैंक ने बार-बार कार्यालय बुलाकर मानसिक और आर्थिक नुकसान पहुंचाया।

अंततः, पीड़ित ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग ने सुनवाई के दौरान पाया कि बैंक ने तकनीकी त्रुटि का हवाला देकर भी पीड़ित की पूरी राशि तुरंत वापस नहीं की, बल्कि आठ महीनों में पांच किश्तों में राशि लौटाई गई।

इससे पीड़ित को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक परेशानी झेलनी पड़ी। आयोग ने बैंक को सेवा में कमी का दोषी ठहराते हुए ब्याज सहित राशि का भुगतान करने और 1,00,000 रुपये व्यवसायिक कदाचरण के लिए तथा 50,000 रुपये क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया।

आयोग के अध्यक्ष श्रीमती रंजना दत्ता, सदस्य पंकज देवड़ा और ममता दास ने इस निर्णय में कहा कि बैंक का यह दायित्व था कि वह अपने ग्राहक के खाते की सुरक्षा सुनिश्चित करता। इस मामले ने बैंकिंग प्रणाली में विश्वास की कमी और ग्राहक सुरक्षा के प्रति लापरवाही को उजागर किया है।