छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का सड़क हादसों पर सख्त रुख: शराब दुकानों, ढाबों और फ्लाई ऐश डंपरों पर कार्रवाई की मांग

बिलासपुर/कोरबा, 26 जून 2025: छत्तीसगढ़ में बढ़ते सड़क हादसों पर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। बुधवार को मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईवे किनारे अवैध शराब दुकानों, ढाबों और फ्लाई ऐश ढोने वाले डंपरों को हादसों का प्रमुख कारण मानते हुए राज्य सरकार, एनटीपीसी, और एसईसीएल से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने कहा कि सड़कें केवल परिवहन का माध्यम नहीं, बल्कि नागरिकों की जान की सुरक्षा से जुड़ी हैं, और हादसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

पिछले साल हाईकोर्ट ने सड़क हादसों की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज किया था। एडवोकेट रवींद्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया गया था। उनकी हालिया रिपोर्ट में मुंगेली जिले के सरगांव में नगर पंचायत कार्यालय के पास ब्लैक स्पॉट की पहचान की गई, जहां हाईवे से सटी शराब दुकान राज्य सरकार के नियमों का उल्लंघन करते हुए संचालित हो रही है। नियमों के अनुसार, हाईवे से 500 मीटर के दायरे में शराब दुकानें प्रतिबंधित हैं। इसके अलावा, सरकारी जमीन पर अतिक्रमण कर संचालित बरम देव ढाबे के सामने अव्यवस्थित वाहन पार्किंग से हादसों का खतरा बना रहता है।

रिपोर्ट के अनुसार, कोरबा जिले में सड़क हादसों में 25.44% और सरगुजा जिले में 42.25% की वृद्धि दर्ज की गई है। ये दोनों कोयला उत्पादक क्षेत्र हैं, जहां डंपरों की आवाजाही अधिक है। कोर्ट कमिश्नर ने बताया कि मालवाहक वाहनों में यात्रियों को ढोना, स्ट्रीट लाइट की कमी, और आवारा मवेशी भी हादसों के प्रमुख कारण हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने कोर्ट को सूचित किया कि बिलासपुर-पथरापाली खंड में 17.95 करोड़ रुपये की लागत से तुर्काडीह, सेंदरी, मदनपुर, मेलनाडीह-कर्रा, और बेलतरा में पांच फुट ओवर ब्रिज (एफओबी) बनाए जाएंगे। इन स्थानों पर क्रैश बैरियर लगाए गए हैं, लेकिन लोग जोखिम उठाकर सड़क पार करते हैं। हाईकोर्ट ने कोर्ट कमिश्नर को एनएचएआई के हलफनामे की जांच करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट का यह कदम सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता को दर्शाता है, और संबंधित विभागों से त्वरित कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है।