कोरबा। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोरबा जिले के सनसनीखेज सामूहिक कुकर्म और तिहरी हत्या के मामले में पांच दोषियों की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है। चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने माना कि यह मामला समाज को झकझोरने वाला है, लेकिन यह ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ श्रेणी में नहीं आता, इसलिए मृत्युदंड उचित नहीं है।
यह मामला जनवरी 2021 का है, जब कोरबा के गढ़-उपरोड़ा के कोराई जंगल में 16 वर्षीय पहाड़ी कोरवा लड़की के साथ सामूहिक कुकर्म के बाद उसकी, उसके पिता और चार साल की नातिन की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। 30 जनवरी को जंगल में तीनों के शव मिले थे। ग्रामीण की पत्नी के बयान के आधार पर पुलिस ने सतरेंगा के छह संदिग्धों को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि आरोपियों ने मादक पदार्थों का सेवन कर लड़की के पिता के सामने कुकर्म किया और विरोध करने पर लाठी-डंडों से उनकी हत्या कर दी। इसके बाद लड़की और नातिन को भी मार डाला।
जिला एवं अपर सत्र न्यायालय (पॉक्सो कोर्ट) की विशेष न्यायाधीश डॉ. ममता भोजवानी ने इसे वीभत्स, पाशविक और कायरतापूर्ण कृत्य बताते हुए पांच आरोपियों को फांसी और एक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। फांसी की सजा की पुष्टि के लिए मामला उच्च न्यायालय में गया। डिवीजन बेंच ने आरोपियों की उम्र और आपराधिक पृष्ठभूमि न होने को ध्यान में रखते हुए फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, जबकि एक आरोपी की उम्रकैद की सजा को यथावत रखा और उनकी अपील खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि उम्रकैद की सजा इस मामले में पर्याप्त है और यह न्याय के उद्देश्यों को पूरा करेगी।
Editor – Niraj Jaiswal
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