छत्तीसगढ़ महिला आयोग ने की 10वीं जन सुनवाई, 16 प्रकरणों पर हुई कार्रवाई

कोरबा। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक और सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने कोरबा जिला कलेक्टर सभा कक्ष में महिला उत्पीड़न से संबंधित 16 प्रकरणों पर जन सुनवाई की। यह कोरबा जिले की 10वीं और राज्य की 327वीं सुनवाई थी। सुनवाई में विभिन्न मामलों पर गहन चर्चा और समाधान के लिए अनुशंसाएं की गईं।

प्रमुख प्रकरण और निर्णय

अतिथि व्याख्याता नियुक्ति में अनियमितता: एक आवेदिका ने आरोप लगाया कि अतिथि व्याख्याता के लिए उनके एम.फिल के अंकों को अनदेखा कर अनावेदक ने अपने परिचित को लाभ पहुंचाया। अनावेदक, जो अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ने बताया कि जांच समिति ने एम.फिल के अंक नहीं जोड़े, जिसके कारण नियुक्ति नहीं हुई। आयोग ने आवेदिका को अगले सत्र (जुलाई/अगस्त) में पुनः आवेदन करने और जांच समिति के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने की सलाह दी। अनावेदक ने समिति की त्रुटि स्वीकार की।

ठेकेदार को लाभ पहुंचाने का आरोप: एक अन्य आवेदिका ने अनावेदक पर ठेकेदार को लाभ पहुंचाने और उन्हें प्रताड़ित करने का आरोप लगाया। अनावेदक ने दस्तावेजों की मांग की, जिसे सूचना के अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त करने की सलाह दी गई। आवेदिका को संशोधित आवेदन दाखिल करने और अगली सुनवाई के लिए रायपुर बुलाया गया।

वैवाहिक विवाद और व्यभिचार का मामला: एक आवेदिका ने अपनी बहू (अनावेदिका) पर अन्य पुरुष से अवैध संबंध और तीसरे बच्चे को जन्म देने का आरोप लगाया।

अनावेदिका, जो शासकीय सेवक हैं, ने पति से पांच साल से अलग रहने की बात कही। दस्तावेजों के आधार पर बच्चे का पिता आवेदक का पुत्र नहीं पाया गया।

आयोग ने अनावेदिका की शासकीय सेवा समाप्ति की प्रक्रिया शुरू करने और तलाक के लिए आवेदन की अनुशंसा की। प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया।

मारपीट और दहेज उत्पीड़न: कुसमुंडा थाने में दर्ज मारपीट और दहेज उत्पीड़न के एक मामले में दोनों पक्षों को सुलह के लिए राजी किया गया। सखी प्रशासिका, प्रोटेक्शन ऑफिसर, और आयोग की पूर्व सदस्य की टीम सुलहनामा तैयार करेगी। प्रकरण को रायपुर में अगली सुनवाई और निगरानी के लिए रखा गया।

आवास योजना में मकान तोड़े जाने का मामला: एक आवेदिका ने बताया कि आवास योजना के तहत बन रहे उनके मकान को अनावेदकों ने तोड़ दिया, जिससे 50,000 रुपये का नुकसान हुआ। मकान तोड़े जाने का वीडियो साक्ष्य के रूप में मौजूद है। आयोग ने आवेदिका को पाली थाने में FIR दर्ज करने और नुकसान की वसूली के लिए प्रकरण दायर करने की सलाह दी।

अवैध संबंध और धमकी का आरोप: एक आवेदिका ने अनावेदिका पर उनके पति के साथ अवैध संबंध और रेप केस में फंसाने की धमकी का आरोप लगाया। अनावेदकों ने माफी मांगी और भविष्य में संबंध न रखने का वादा किया। आयोग ने प्रकरण को समझौते के आधार पर निपटाया।

आयोग की भूमिका और संदेश

डॉ. किरणमयी नायक ने कहा कि महिला आयोग का उद्देश्य पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय और सहायता प्रदान करना है। सुनवाई में सभी पक्षों को निष्पक्ष सुनने के बाद उचित अनुशंसाएं की गईं। श्रीमती अर्चना उपाध्याय ने जोर दिया कि महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है।

सामाजिक प्रभाव

कोरबा में हुई इस जन सुनवाई ने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। स्थानीय लोगों ने आयोग की सक्रियता की सराहना की और मांग की कि इस तरह की सुनवाई नियमित रूप से आयोजित की जाए। आयोग ने भविष्य में भी ऐसे प्रकरणों पर त्वरित कार्रवाई का आश्वासन दिया है।