कोरबा।साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) की गेवरा खदान में बुधवार दोपहर एक दुखद हादसे में इलेक्ट्रिशियन हीरा की 6.6 केवी लाइन के संपर्क में आने से मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना दोपहर 3:30 से 4:00 बजे के बीच पीक्यू सर्किट के बैकअप क्षेत्र में मेंटेनेंस कार्य के दौरान हुई। हादसे ने खदान में सुरक्षा मानकों की पोल खोल दी है और कर्मचारियों में आक्रोश का माहौल है।
घटना का विवरण
पुलिस और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, नागार्जुन कंपनी द्वारा गेवरा खदान में 6.6 केवी लाइन में स्पार्किंग की समस्या के सुधार के लिए मेंटेनेंस कार्य किया जा रहा था। इलेक्ट्रिशियन हीरा और उनके सहयोगी विवेक पटेल इस कार्य के लिए मौके पर पहुंचे थे। कार्य के दौरान अचानक हीरा करंट की चपेट में आ गए, जिससे उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। साथी कर्मचारियों ने उन्हें तुरंत नेहरू शताब्दी चिकित्सालय पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
दीपका थाना प्रभारी प्रेमचंद पटेल ने बताया कि घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने मर्ग कायम किया है और मामले की जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस घटनाक्रम की विस्तृत जानकारी जुटा रही है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि हादसे के पीछे सुरक्षा नियमों की अनदेखी तो नहीं हुई।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
यह हादसा गेवरा खदान में सुरक्षा उपायों की गंभीर खामियों को उजागर करता है। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा बार-बार दावा किया जाता है कि खदानों में सुरक्षा के सभी मानकों का पालन किया जाता है, लेकिन इस तरह की घटनाएं इन दावों को खोखला साबित करती हैं। कर्मचारियों और स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है कि क्या लॉक-आउट और टैग-आउट जैसी बुनियादी सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन किया गया था?
कर्मचारियों में आक्रोश
घटना के बाद खदान के कर्मचारियों में गुस्सा और निराशा का माहौल है। वे मांग कर रहे हैं कि हादसे की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही, मृतक हीरा के परिजनों को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान करने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
पहले भी हो चुके हैं हादसे
गेवरा खदान में यह पहला हादसा नहीं है। हाल ही में 27 मई 2025 को खदान की दीवार ढहने से दो ग्रामीणों की मौत हो गई थी, जो अवैध कोयला चोरी के लिए घुसे थे। इसके अलावा, जुलाई 2024 में कुसमुंडा खदान में एक अधिकारी की बारिश के पानी में बहने से मृत्यु हो गई थी। ये घटनाएं कोरबा के कोलफील्ड क्षेत्रों में सुरक्षा और प्रबंधन की कमियों को बार-बार उजागर करती हैं।
प्रशासन द्वारा इस हादसे की जांच के आदेश दिए जाने की संभावना है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के हादसों को रोकने के लिए खदानों में सुरक्षा प्रशिक्षण, नियमित निरीक्षण, और बुनियादी सुरक्षा उपायों जैसे कि उचित लॉक-आउट/टैग-आउट प्रक्रियाओं को कड़ाई से लागू करना जरूरी है। स्थानीय लोग और कर्मचारी यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या किसी की जान जाने के बाद ही सिस्टम जागेगा?
Editor – Niraj Jaiswal
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