कटघोरा वन मंडल में रॉयल्टी घोटाले का खुलासा, खनिज विभाग को लाखों-करोड़ों की चपत

कोरबा।जिले के कटघोरा वन मंडल में गौण खनिजों की रॉयल्टी के नाम पर बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आया है। विभिन्न निर्माण कार्यों में उपयोग होने वाले रेत, गिट्टी, मुरूम और मिट्टी जैसे गौण खनिजों की रॉयल्टी में भारी गड़बड़ी की जा रही है, जिससे सरकार को लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है।

यह मामला तब उजागर हुआ, जब खनिज विभाग ने स्वीकार किया कि वन विभाग द्वारा रॉयल्टी की राशि अपेक्षित स्तर पर जमा नहीं की जा रही।

शासन के निर्देशों के अनुसार, सभी विभाग प्रमुखों को गौण खनिजों की रॉयल्टी चुकता प्रमाण पत्र प्राप्त करने और ठेकेदारों के अंतिम देयक से रॉयल्टी की राशि काटने का आदेश है।

इसके बावजूद, कटघोरा वन मंडल में स्टॉप डैम, चेक डैम, भवन निर्माण, गोदाम निर्माण और रिटर्निंग वॉल जैसे कार्यों में गौण खनिजों का उपयोग बिना उचित रॉयल्टी चुकाए किया जा रहा है।

सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई जानकारी में खनिज विभाग ने जवाब दिया कि पिछले तीन वर्षों (2022-25) में कटघोरा वन मंडल से रॉयल्टी की कोई राशि प्राप्त नहीं हुई, जिसे “निरंक” बताया गया।

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, वन विभाग के अधिकारियों, रेंजरों और मैदानी अमले की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया जा रहा है। जेम पोर्टल के माध्यम से खास सप्लायरों को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी खरीद दिखाई जा रही है। मजदूरी के भुगतान में भी गड़बड़ी की जा रही है, जहां मजदूरों के नाम पर रिश्तेदारों को भुगतान किया जाता है। सूत्रों का दावा है कि उपमंडलाधिकारी 40-50% कमीशन पर ठेके दे रहे हैं और रेंज ऑफिसरों पर दबाव डालकर हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं।

पड़ोसी मरवाही वन मंडल में 3 करोड़ 80 लाख रुपये के रॉयल्टी घोटाले के बाद हाईकोर्ट की फटकार के बावजूद कटघोरा में यह सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा।

खनिज विभाग के एक अधिकारी ने भी स्वीकार किया कि रॉयल्टी की राशि में बड़े पैमाने पर गोलमाल हो रहा है। इस मामले ने न केवल वन और खनिज विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को भी उजागर किया है। पुलिस और प्रशासन से इस मामले की गहन जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।