कोरबा। छत्तीसगढ़ शासन के स्वास्थ्य सचिव ने एक नया आदेश जारी किया है, जिसके तहत मेडिकल कॉलेज और चिकित्सालयों में पत्रकारों को सीधे खबर कवर करने की अनुमति नहीं होगी। इस फरमान के अनुसार, अस्पताल में किसी भी घटना, दुर्घटना या अव्यवस्था की जानकारी लेने के लिए पत्रकारों को जनसंपर्क अधिकारी से संपर्क करना होगा। बिना अनुमति कवरेज करने पर कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। कोरबा के मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को भी इस आदेश की प्रति मिल चुकी है, जिससे स्थानीय पत्रकारों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।
आदेश का विवरण
स्वास्थ्य सचिव के निर्देश के अनुसार, प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज और चिकित्सालयों में पत्रकारों को सीधे मरीजों, उनके परिजनों, या स्टाफ से बातचीत करने की मनाही है। अस्पताल में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था, लापरवाही, या अन्य घटनाओं को कैमरे में कैद करने पर रोक लगा दी गई है। खबरों के लिए केवल नियुक्त जनसंपर्क अधिकारी ही जानकारी उपलब्ध कराएंगे। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और कोरबा मेडिकल कॉलेज सहित सभी जिला चिकित्सालयों को इसका पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
पत्रकारों में आक्रोश
कोरबा के पत्रकारों ने इस आदेश को प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने वाला बताया है। उनका कहना है कि यह फरमान अस्पतालों में होने वाली अनियमितताओं और लापरवाही को छिपाने का प्रयास है। पत्रकारों का तर्क है कि जनसंपर्क अधिकारी केवल प्रबंधन के पक्ष को ही प्रस्तुत करेंगे, जिससे जनता तक सच्चाई नहीं पहुंच पाएगी। एक स्थानीय पत्रकार ने कहा, “अस्पताल में मरीजों के साथ होने वाली घटनाओं को उजागर करना हमारा कर्तव्य है। इस आदेश से हमारी आवाज दबाने की कोशिश हो रही है।”
संभावित प्रभाव
इस आदेश से अस्पतालों में पारदर्शिता और जवाबदेही पर सवाल उठ रहे हैं। मरीजों और उनके परिजनों की शिकायतें, जो अक्सर मीडिया के माध्यम से सामने आती थीं, अब दब सकती हैं। कोरबा के निवासियों ने भी इस आदेश पर चिंता जताई है, क्योंकि उनका मानना है कि यह स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की बजाय समस्याओं को छिपाने का जरिया बन सकता है।
प्रशासन का पक्ष
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि यह आदेश अस्पतालों में व्यवस्था बनाए रखने और मरीजों की गोपनीयता की रक्षा के लिए जारी किया गया है। हालांकि, इस दावे पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह नियम पत्रकारों को नियंत्रित करने का बहाना तो नहीं है।
आगे की मांग
कोरबा के पत्रकार संगठनों ने इस आदेश के खिलाफ एकजुट होने और इसे वापस लेने की मांग करने की योजना बनाई है। उनका कहना है कि प्रेस की स्वतंत्रता लोकतंत्र का आधार है, और इस तरह के प्रतिबंध अस्वीकार्य हैं। पत्रकारों ने स्वास्थ्य सचिव से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और मीडिया के साथ संवाद का रास्ता खोलने की अपील की है।
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