बांकीमोंगरा में लापरवाही की भेंट चढ़ा गरीब का आशियाना, सूखा पेड़ बना खतरा

कोरबा-बांकीमोंगरा । नवगठित नगर पालिका परिषद बांकीमोंगरा में प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ने एक गरीब परिवार का आशियाना छीन लिया। वार्ड क्रमांक 03, मोंगरा बस्ती में भीमसेन मंदिर के समीप एक सूखा बरगद का पेड़, जिसे कटवाने की मांग ग्रामीण लंबे समय से कर रहे थे, मंगलवार को हल्की बारिश में टूटकर मंगलू दास के घर पर गिर पड़ा। इस हादसे में मंगलू का घर पूरी तरह नष्ट हो गया, सामान खराब हो गया, और उनके बेटे आलोक को हल्की चोटें आईं। परिवार अब बेघर होकर सड़क पर है, और विद्युत व्यवस्था भी बाधित हो गई है।

ग्रामीणों की शिकायतों की अनदेखी

ग्रामीणों ने इस सूखे पेड़ को हटाने के लिए कई बार जिला प्रशासन और नगर पालिका परिषद के सीएमओ को पत्र लिखे। सुशासन तिहार में भी लिखित शिकायतें दी गईं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। कोयला मजदूर पंचायत के अध्यक्ष गजेंद्र पाल सिंह और मंगलू दास की पत्नी गीता ने भी जनवरी और जून 2025 में आवेदन दिए, जो नजरअंदाज कर दिए गए। रोजाना इस रास्ते से गुजरने वाले सीएमओ, पालिकाध्यक्ष, और पार्षद भी इस खतरे को अनदेखा करते रहे।

जनप्रतिनिधियों का बेरुखी भरा रवैया

हादसे की जानकारी मिलने पर पालिकाध्यक्ष सोनी झा मौके पर पहुंचीं। वार्ड 03 के पार्षद लोकनाथ सिंह तंवर ने पहले पीड़ित परिवार को अपने नवनिर्मित मकान में अस्थाई आश्रय देने का वादा किया, लेकिन रात होते ही वह मुकर गए। नतीजतन, मंगलू का परिवार रातभर उनके घर के सामने सड़क पर गुजारने को मजबूर हुआ।

मोहल्लेवासियों का आक्रोश, पालिका कार्यालय में घेराव की तैयारी

इस घटना से आक्रोशित मोहल्लेवासी बुधवार, 18 जून 2025 को नगर पालिका परिषद कार्यालय में डेरा डालने की योजना बना रहे हैं। उनकी मांग है कि जब तक सूखे पेड़ को पूरी तरह नहीं हटाया जाता और पीड़ित परिवार को उचित आर्थिक सहायता व अस्थाई आवास की व्यवस्था नहीं हो जाती, वे पालिका परिसर में ही रहेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि पेड़ का बचा हुआ हिस्सा अभी भी बड़ा खतरा बना हुआ है, जो कभी भी हादसे का कारण बन सकता है।

प्रशासन की लापरवाही उजागर

यह घटना बांकीमोंगरा नगर पालिका परिषद में सत्ता, संगठन, और प्रशासन के बीच तालमेल की कमी को उजागर करती है। एक तरफ जहां एक किसान अपने खेत में फ्लाई ऐश पटवाने को लेकर परेशान है, वहीं मंगलू दास जैसे गरीब परिवार को प्रशासनिक उदासीनता ने सड़क पर ला दिया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते उनकी शिकायतों पर ध्यान दिया जाता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।