छत्तीसगढ़ में औद्योगिक क्रांति की नई पहल: ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर और रक्षा-एयरोस्पेस उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन पैकेज

कोरबा। छत्तीसगढ़ सरकार ने औद्योगिक विकास नीति 2024-30 के तहत ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (जीसीसी) और रक्षा, एयरोस्पेस एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण संशोधन किए हैं।

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वाणिज्य, उद्योग व श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में तैयार इस नीति में आकर्षक निवेश प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की गई है, जिससे कोरबा सहित राज्य को औद्योगिक हब के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।

भारत में वर्तमान में लगभग 1800 जीसीसी कार्यरत हैं, जो 20 लाख लोगों को रोजगार दे रहे हैं, लेकिन इनमें से 92% बेंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, मुंबई, पुणे और दिल्ली-एनसीआर में हैं। छत्तीसगढ़ में जीसीसी को आकर्षित करने के लिए विशेष पैकेज तैयार किया गया है।

मंत्री लखनलाल देवांगन ने बताया कि जीसीसी की स्थापना और विस्तार के लिए स्थाई पूंजी निवेश पर 150% तक औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिया जाएगा। लेवल-1 जीसीसी को 35% अनुदान (अधिकतम 15 करोड़ रुपये) 5 वर्षों में समान किस्तों में और एडवांस जीसीसी को 35% अनुदान (अधिकतम 60 करोड़ रुपये) 6 वर्षों में दिया जाएगा।

इसके अलावा, 12 वर्षों तक विद्युत शुल्क में छूट, स्टांप शुल्क में पूर्ण छूट, पंजीयन शुल्क में 50% प्रतिपूर्ति, 50 एकड़ तक डायवर्सन शुल्क में 50% छूट और नवीन विद्युत कनेक्शन पर 50% शुल्क प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। साथ ही, सेवा गतिविधि शुरू होने के 5 वर्षों तक परिचालन व्यय का 20% अनुदान भी मिलेगा।

रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र के नए उद्योगों के लिए स्थाई पूंजी निवेश पर 100% तक प्रोत्साहन दिया जाएगा। वाणिज्यिक उत्पादन शुरू होने के 12 वर्षों तक नेट राज्य वस्तु एवं सेवा कर की प्रतिपूर्ति (अधिकतम 100% तक) और 50 करोड़ से 500 करोड़ तक के यंत्र-संयंत्र निवेश पर 35% अनुदान 6 वर्षों में समान किस्तों में प्रदान किया जाएगा।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह नीति न केवल आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देगी, बल्कि सामाजिक न्याय और युवाओं के लिए रोजगार सृजन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

कोरबा-बिलासपुर-रायपुर औद्योगिक कॉरिडोर के साथ छत्तीसगढ़ को देश के औद्योगिक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।