केरा की चार बेटियों ने तोड़ी परंपरा, मां के अंतिम संस्कार की सारी रस्में निभाकर रची मिसाल

जांजगीर-चांपा। केरा गांव में चार बेटियों ने सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती देते हुए अपनी दिवंगत मां की अंतिम यात्रा की सभी रस्में पूरी कर एक नई मिसाल कायम की।

पारंपरिक मान्यताओं को पीछे छोड़ते हुए इन बेटियों ने न केवल मां की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि पूजा-अर्चना और अंतिम संस्कार की सभी विधियां भी पूरी श्रद्धा के साथ निभाईं।

चारों बेटियों ने अपनी मां को फूलों से सजी एम्बुलेंस में तुलसी से केरा गांव तक विदाई दी और फिर महानदी के किनारे मुक्तिधाम में चिता सजाकर मुखाग्नि दी। यह भावुक दृश्य न केवल हृदयस्पर्शी था, बल्कि समाज को यह संदेश भी दे गया कि बेटियां हर कर्तव्य को पूरी निष्ठा के साथ निभा सकती हैं।

यह घटना समाज के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो दर्शाती है कि बेटियां न केवल घर की लक्ष्मी हैं, बल्कि शक्ति का भी प्रतीक हैं। इन बेटियों ने अपने माता-पिता का सहारा बनकर और अब समाज के लिए एक आदर्श बनकर यह साबित किया कि लिंग भेदभाव की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।