कोरबा।बिलासा ब्लड बैंक, जो मरीजों की जिंदगी बचाने का संकल्प लेकर संचालित होता है, स्वयं संकट में है। वर्ष 2023 में इसका लाइसेंस समाप्त हो चुका है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने न तो लाइसेंस का नवीनीकरण किया है और न ही इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई की है। इस स्थिति ने मरीजों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जिले के शासकीय और निजी अस्पतालों में रोजाना सर्जरी, प्रसव और एनीमिया जैसे मामलों में रक्त की जरूरत पड़ती है। जिला ब्लड बैंक के अलावा, निजी ब्लड बैंकों, खासकर घंटाघर चौक स्थित बिलासा ब्लड बैंक, से इसकी पूर्ति की जाती है। यह ब्लड बैंक लंबे समय से सेवा दे रहा है, लेकिन लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी न होने के कारण यह बिना वैध लाइसेंस के संचालित हो रहा है। इससे ब्लड की गुणवत्ता और मरीजों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि बिलासा ब्लड बैंक ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है और प्रक्रिया चल रही है। वहीं, ब्लड बैंक प्रबंधन का दावा है कि उन्होंने 2023 में ही आवेदन जमा कर दिया था, लेकिन केंद्रीय लाइसेंस अनुमोदन प्राधिकरण (खाद्य एवं औषधि प्रशासन, नई दिल्ली) द्वारा प्रक्रिया में देरी की जा रही है।
वर्तमान में लाइसेंस के अभाव में बिलासा ब्लड बैंक पर शासन-प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है, जो मरीजों के लिए जोखिम भरा हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना लाइसेंस के ब्लड बैंक का संचालन नियमों का उल्लंघन है और यह मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ग्रामीणों और मरीजों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाए और लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया को जल्द पूरा किया जाए।
Editor – Niraj Jaiswal
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