कोरबा। छत्तीसगढ़ में जहां एक ओर प्रदेश सरकार सुशासन तिहार मना रही है, वहीं कोरबा जिले के पाली विकासखंड के मुड़ापार गांव में गंभीर जल संकट ने ग्रामीणों की जिंदगी मुश्किल कर दी है। गर्मी के मौसम में पानी की समस्या और विकराल हो गई है। नजदीकी कोयला खदानों और अन्य कारणों से भूजल स्तर काफी नीचे चला गया है, जिसके चलते 3,000 से अधिक आबादी वाले इस गांव में पीने के पानी के लिए हाहाकार मचा है।
ग्रामीणों के अनुसार, 300 से 400 फीट तक बोरवेल खुदवाने के बाद भी पानी नहीं मिल रहा। जहां हैंडपंप से पानी निकलता है, वहां जंग युक्त और पीने योग्य नहीं है। गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए कई किलोमीटर दूर नदी-नालों और तालाबों तक जाने को मजबूर हैं।
एक ग्रामीण ने बताया, “हम सुबह से लाइन में लगते हैं, फिर भी पर्याप्त पानी नहीं मिलता। कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।” गांव के सरपंच ने भी स्वीकार किया कि उन्होंने अधिकारियों को बार-बार सूचित किया, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। कुछ लोगों ने निजी बोरवेल खुदवाए, लेकिन यह सुविधा हर किसी के लिए संभव नहीं है।
मुड़ापार की यह स्थिति ग्रामीण भारत में बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी को उजागर करती है। स्थानीय प्रशासन और जल संसाधन विभाग की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में जल संकट से निपटने के लिए ‘आवा पानी झोंकी’ अभियान शुरू किया गया है, जिसके तहत लोगों को बारिश के पानी के संरक्षण के लिए जागरूक किया जा रहा है।
इस अभियान का उद्देश्य भूजल स्तर को बेहतर करना और भविष्य में जल संकट को रोकना है। ग्रामीणों का कहना है कि मुड़ापार में भी इस तरह की पहल की सख्त जरूरत है।
जल संकट से जूझ रहे मुड़ापार के लोगों की मांग है कि प्रशासन तत्काल कदम उठाए और स्थायी समाधान प्रदान करे, ताकि गांव में पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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