कोरबा जिले में जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफ) के फंड को चंद व्यापारियों और बिचौलियों ने मिलकर जमकर लूटा। फर्जी बिलों और टेंडरों के खेल के जरिए सरकारी धन की बंदरबांट का यह मामला अब जांच के दायरे में है। तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू पर गंभीर आरोप लगे हैं, जिनके संरक्षण में व्यापारियों ने अलग-अलग फर्मों के नाम पर करोड़ों रुपये के टेंडर हासिल किए।
प्रमुख बिचौलिया मनोज कुमार द्विवेदी ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को बताया कि टेंडर राशि का 3% कमीशन लेकर अब्दुल और शेखर नामक व्यक्ति फर्जी बिल उपलब्ध कराते थे। जांच में सामने आया कि व्यापारी संजय शेंडे ने ज्योति ट्रेडिंग कंपनी, एसएस इंडस्ट्रीज और साईं इंटरप्राइजेज जैसी फर्मों के जरिए 120-130 करोड़ रुपये के काम हासिल किए। इनके बदले रानू साहू को 20 करोड़ रुपये कमीशन दिए गए। इसी तरह, अशोक कुमार अग्रवाल ने अपनी फर्मों के जरिए 22-23 करोड़ के टेंडर प्राप्त किए और 2.5-3 करोड़ रुपये कमीशन दिया।
अन्य व्यापारियों जैसे मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी, कोमल सोनी और उनकी फर्मों ने भी सोलर लाइट, आंगनबाड़ी खिलौने और कृषि यंत्रों की सप्लाई के नाम पर करोड़ों रुपये का खेल किया। टेंडर हासिल करने के लिए 20 करोड़ रुपये देकर 130 करोड़ रुपये के काम प्राप्त किए गए। कुछ विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता भी जांच के दायरे में है। यह मामला कोरबा प्रशासन और डीएमएफ की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़ा करता है।
Editor – Niraj Jaiswal
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