कटघोरा और कोरबा वनमंडल में लोनर हाथियों का उत्पात थमने का नाम नहीं ले रहा है। कटघोरा के पसान रेंज के बीजाढांढ सर्किल में दो लोनर हाथियों में से एक ने केंदई पण्डोंपारा में जेठूराम नामक ग्रामीण के मकान को ढहा दिया, जिससे पीड़ित परिवार बेघर हो गया। वहीं, कोरबा वनमंडल के चचिया और गीतकुंवारी में लोनर हाथियों ने चार ग्रामीणों की धान की रबी फसल को रौंदकर पूरी तरह बर्बाद कर दिया। हाथियों के इस उत्पात से ग्रामीणों में दहशत का माहौल है, और वे वन विभाग व जिला प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।
कटघोरा में लोनर हाथी का कहर
कटघोरा वनमंडल के पसान, केंदई, और एतमानगर रेंज में वर्तमान में 48 हाथी सक्रिय हैं, जिनमें से दो लोनर हाथी पसान रेंज के बीजाढांढ और मोहनपुर में विचरण कर रहे हैं। बीजाढांढ सर्किल में मौजूद एक लोनर हाथी ने केंदई पण्डोंपारा में जेठूराम के मकान को ध्वस्त कर दिया और बरदापखना के रास्ते मोहनपुर की ओर चला गया। इस घटना से जेठूराम और उनका परिवार बेघर हो गया है। दूसरा लोनर हाथी अभी भी बीजाढांढ क्षेत्र में मौजूद है, जिससे ग्रामीणों में भय बना हुआ है।
कटघोरा के केंदई रेंज के कोरबी सर्किल में 11 हाथी और एतमानगर के जंगल में 35 हाथी घूम रहे हैं। वन विभाग ने इन क्षेत्रों में निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन लोनर हाथियों की गतिविधियों ने ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है।
कोरबा वनमंडल में फसलों का नुकसान
कोरबा वनमंडल के कुदमुरा रेंज के चचिया और गीतकुंवारी गांवों में लोनर हाथियों ने बीती रात खेतों में जमकर उत्पात मचाया। इन हाथियों ने चार ग्रामीणों की धान की रबी फसल को रौंदकर पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। प्रभावित किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है, और वे अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं। वन विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर नुकसान का आकलन कर रही है और प्रभावित किसानों को मुआवजे का आश्वासन दे रही है।
वन विभाग की कार्रवाई और ग्रामीणों की मांग
हाथियों के उत्पात की सूचना मिलते ही वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे और हाथियों की निगरानी शुरू की। वन विभाग ने ग्रामीणों को सतर्क रहने और जंगल या खेतों में अकेले न जाने की सलाह दी है। कटघोरा वनमंडल के अधिकारी ने बताया कि प्रभावित ग्रामीणों को नियमानुसार मुआवजा प्रदान किया जाएगा। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि मुआवजा नुकसान की भरपाई के लिए पर्याप्त नहीं है और वे स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और वन विभाग से हाथियों को जंगल की ओर खदेड़ने और गांवों में उनकी आवाजाही रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की अपील की है। कुछ ग्रामीणों ने सुझाव दिया है कि हाथी प्रभावित क्षेत्रों में बाड़ लगाने और सायरन जैसे उपायों का उपयोग किया जाए।
कोरबा में बढ़ता मानव-हाथी संघर्ष
कोरबा और कटघोरा वनमंडल में हाथियों की बढ़ती संख्या और उनके गांवों में प्रवेश ने मानव-हाथी संघर्ष को और गंभीर कर दिया है। वन विभाग के अनुसार, कोरबा जिला छत्तीसगढ़ के उन क्षेत्रों में शामिल है, जहां हाथियों के हमले में पिछले पांच वर्षों में 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हाल के महीनों में जिले में फसलों, मकानों, और मवेशियों को नुकसान पहुंचाने की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे ग्रामीणों में डर और आक्रोश दोनों देखा जा रहा है।
निष्कर्ष
कोरबा जिले में लोनर हाथियों का आतंक ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। मकानों और फसलों को हो रहा नुकसान न केवल आर्थिक क्षति पहुंचा रहा है, बल्कि ग्रामीणों की सुरक्षा को भी खतरे में डाल रहा है। वन विभाग की तत्काल कार्रवाई और निगरानी के बावजूद, ग्रामीण स्थायी समाधान की मांग कर रहे हैं। प्रशासन और वन विभाग को इस समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीति अपनाने की जरूरत है, ताकि मानव-हाथी संघर्ष को कम किया जा सके और ग्रामीणों को राहत मिल सके।
Editor – Niraj Jaiswal
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