हाईकोर्ट ने निरस्त किया 110 कर्मचारियों की बहाली का आदेश, बिलासपुर जिला सहकारी बैंक मामले में बड़ा फैसला

बिलासपुर/कोरबा। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डबल बेंच ने जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, बिलासपुर के 110 कर्मचारियों की बर्खास्तगी को गलत ठहराते हुए उनकी सेवा में बहाली का आदेश देने वाले निर्णय को निरस्त कर दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने 8 मई 2025 को यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने माना कि सभी कर्मचारियों को सुनवाई का उचित अवसर दिया गया था, और 2015 से सेवा में न होने वाले कर्मचारियों को बिना बकाया वेतन के बहाल करने का एकलपीठ का आदेश उचित नहीं था।

अपील और कोर्ट का निर्णय

यह फैसला मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जिला सहकारी केंद्रीय बैंक, बिलासपुर और कलेक्टर (प्राधिकृत अधिकारी) द्वारा दायर अपील पर आया। अपील में पंकज कुमार तिवारी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य के रिट याचिका (क्रमांक 3346/2020) में 12 मार्च 2025 को एकलपीठ के आदेश को चुनौती दी गई थी। एकलपीठ ने 110 कर्मचारियों को बिना बकाया वेतन के बहाल करने का निर्देश दिया था।

डबल बेंच ने दोनों पक्षों के तर्कों और कानूनी दृष्टांतों का अवलोकन करने के बाद अपने आदेश में स्पष्ट किया कि एकलपीठ का बहाली का निर्देश अपास्त किया जाता है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि पंकज कुमार तिवारी और समान स्थिति वाले 29 अन्य याचिकाकर्ताओं, जो 2015 से सेवा में नहीं हैं, के मामले में नई कार्यवाही को तीन महीने के भीतर पूरा किया जाए।

मामले का विवरण

अपील में प्रतिवादी के रूप में पंकज कुमार तिवारी (विकास नगर, कुसमुंडा), छत्तीसगढ़ राज्य सचिव (सहकारी समितियां विभाग), रजिस्ट्रार (कोऑपरेटिव सोसाइटी), संयुक्त पंजीयक (सहकारी संस्थाएं, बिलासपुर), आयुक्त (राजस्व, बिलासपुर संभाग), और जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष/निदेशक मंडल को शामिल किया गया था।

कोर्ट के आदेश की मुख्य बातें

एकलपीठ का 12 मार्च 2025 का आदेश, जो कर्मचारियों को बिना बकाया वेतन के बहाल करने से संबंधित था, रद्द किया गया।

2015 से सेवा में न होने वाले 29 याचिकाकर्ताओं के लिए नई कार्यवाही तीन महीने में पूरी करने का निर्देश।

कोर्ट ने माना कि सभी कर्मचारियों को उचित सुनवाई का अवसर मिला था।

निहितार्थ

यह फैसला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक और संबंधित कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है। नई कार्यवाही के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इन कर्मचारियों का भविष्य क्या होगा। इस मामले पर सहकारी समितियों और बैंक कर्मचारियों के बीच चर्चा तेज हो गई है।